पश्चिम बंगाल सरकार के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी 2012 में बिजनेस समिट के लिए एक साथ सिंगापुर गए थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस बाबत सबूत होने का दावा किया है। बताया गया है कि सिंगापुर में दोनों की एक साथ तस्वीरें हैं। बताया गया कि 2012 में ब्यूटीफुल बंगाल के नाम से एक औद्योगिक सम्मेलन का आयोजन सिंगापुर में किया गया था। उस सम्मेलन में पार्थ के साथ अर्पिता भी गई थी। तब पश्चिम बंगाल में पहली बार ममता बनर्जी की सरकार बनी थी। उस समय सरकार के सिर्फ एक साल पूरे हुए थे।
सुबूतों की पुष्टि कर रहा है ईडी
इस मामले में ईडी को कुछ इनपुट मिले हैं। वह इस पर पहली नजर बनाए हुए हैं। यह बिजनेस सम्मेलन सिंगापुर में कोलकाता के एक प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान के पूर्व छात्रों के मिलन के दौरान आयोजित किया गया था। इसका संस्थान से कोई लेना-देना नहीं है। कार्यक्रम के दौरान कोलकाता के कई लोग भी मौजूद थे। कुछ लोगों ने बताया है कि उन्होंने यात्रा के दौरान मुखर्जी को मंत्री के साथ देखा था। लेकिन हम सबूतों की पुष्टि कर रहे हैं।
पैसे लेकर गैर योगी शिक्षकों की भर्ती की
ईडी की यह जानकारी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पार्थ चटर्जी के आवास और अर्पिता मुखर्जी के अपार्टमेंट से जब्त किए गए कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज 2012 के शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के माध्यम से भर्ती होने के समय के हैं। ईडी का दावा है कि चटर्जी ने 2012 से पैसे के बदले गैर-योग्य या कम-योग्य शिक्षकों की भर्ती शुरू की। तृणमूल के करीबी लोगों का कहना है कि मुखर्जी के अपार्टमेंट से बरामद सभी बेहिसाब नकदी नोटबंदी के बाद की है, इसलिए इस भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अब तक रुपये का लेनदेन करते रहे हैं।
कई संपत्तियों पर भी है ईडी की नजर
ईडी के अधिकारी ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में कई गुप्त भूमि सौदे हुए हैं। करोड़ों रुपये की कई संपत्तियां अब हमारी जांच के दायरे में आ गई हैं। नोटबंदी से पहले अर्जित धन संपत्ति में निवेश किया गया हो सकता है। अर्पिता मुखर्जी के आवास से जो कुछ जब्त किया गया था, वह हो सकता है नए नोटों के प्रचलन के बाद की वसूली हो। यह सारा कारनामा पिछले तीन-चार सालों में किया गया है।