Bhopal News : जरा सोचिए, डॉक्टर ने किसी को मृत घोषित कर डाला हो। इसके बाद घरवालों ने उसका अंतिम संस्कार भी कर डाला हो और वह जिंदा लौट आए। है न आश्चर्य वाली बात। लेकिन, अस्पताल द्वारा मृत घोषित किए जाने और अंतिम संस्कार कर दिए जाने के लगभग दो वर्ष बाद 35 वर्षीय मध्य प्रदेश का एक युवक अपने घर लौट आया है। युवक का नाम कमलेश पाटीदार है। इसके बाद क्या-क्या हुआ, कहानी बहुत ही रोचक और रोमांचक है। बस बने रहे हमारे साथ, अभी बताते हैं…
कमलेश ने खटखटाया दरवाजा तो फंटी रह गई परिजनों की आंखें
दरअसल, कमलेश के मामा का परिवार उस समय अचंभित रह गया, जब उसने शनिवार की सुबह लगभग छह बजे करोंदकला गांव में अपनी मौसी के घर का दरवाजा खटखटाया। इस बीच जैसे ही उसके जीवित होने की सूचना पिता गेंदालाल को मिली तो पिता की आंखों से आंसू छलक आए। उन्हें सहसा विश्वास नहीं हुआ कि कमलेश जिंदा है। फिर जब वीडियो कॉल पर कमलेश से बातें हुईं तो दोनों फोन पर ही फफक पड़े।
… तो इसलिए परिजनों ने कर दिया था अंतिम संस्कार
वर्ष 2021 की बात है। बदनावर तहसील के ग्राम कड़ोदकला का रहने वाला कमलेश कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हाे गया था। इसके बाद उसे सबसे पहले बदनावर के सरदार अस्पताल ले जाया गया। फिर रेफर करने पर इंदौर में इलाज करवाया गया। इस बीच कमलेश स्वस्थ हुआ और घर लौट आया।
कुछ दिनों बाद कमलेश के शरीर में ब्लड जमने की शिकायत आई और उसका साथ मोटापा अचानक बढ़ने लगा। इसके बाद उसे बड़ौदा ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने कमलेश को मृत घोषित कर दिया। मौत की सूचना पर पहुंचे परिजनों को कोरोना पॉजिटिव बॉडी होने के कारण शव से दूर रखा गया। बॉडी पॉलीथिन में लिपटी थी, ऐसे में उसकी जांच-परख भी असंभव था। ऐसे में डॉक्टरों की पुष्टि को ही सही मानते हुए बड़ौदा में ही कोविड टीम द्वारा उसका अंतिम संस्कार करवाने के बाद परिजन गांव लौट आए। इधर, जवान बेटे को खो चुके परिवार ने बड़ौदा से लौटने के बाद घर पर सारे रीति-रिवाज पूरे किए। पूरा गांव तेरहवीं में शामिल हुआ। कमलेश की पत्नी रेखा बाई ने भी खुद को विधवा मान लिया।
दो वर्षों तक कहां रहा कमलेश, कहानी दिलचस्प है
मीडिया द्वारा पूछे जाने पर कमलेश के परिजनों ने कमलेश के हवाले से ऑफ द रिकॉर्ड बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद वह बड़ौदा से अहमदाबाद आ गया था और किसी गिरोह के चंगुल में फंस गया। उसे 5 से 6 लोगों ने बंधक बनाकर रखा था। एक दिन छोड़कर उसे वहां इंजेक्शन दिया जाता था। इससे वह ज्यादातर समय बेसुध रहा करता था। गत गुरुवार को वे उसे चार पहिया वाहन से अहमदाबाद से कहीं लेकर जा रहे थे। इस बीच गिरोह के सदस्य एक होटल पर नाश्ता करने के लिए रुके। यहीं पर उसे उनके चंगुल से निकलने का मौका मिला। इसके बाद वह अहमदाबाद से इंदौर आ रही एक यात्री बस पर सवार हो गया। शुक्रवार की देर रात वह सरदारपुर पहुंचा, जहां से वह अपने मामा के घर पहुंचा।
विधवा की तरह रह रही पत्नी की मांग
इधर, कमलेश की तथाकथित मौत के बाद उसकी पत्नी रेखा बाई विधवा की तरह रह रही थी। परिजनों की सहमति से उसने शनिवार की दोपहर फिर पत्नी की मांग भरी। कमलेश के परिवार और समाज के लोगों की मौजूदगी में यह सब हुआ। इधर, पति के लौट आने की खुशी में रेखा बाई की आंखें रह रहकर डबडबा आती हैं, वह कहती है- ये खुशी के आंसू हैं।