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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुंबई में अटल बिहारी वाजपेयी सेवारी-न्हावा शेवा अटल सेतु को भारत की ढांचागत शक्ति का उदाहरण बताया और कहा कि यह विकसित भारत की तस्वीर है। यह एक झलक है कि विकसित भारत कैसा होगा।
प्रधानमंत्री ने मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक को पूरा करने के प्रयासों के लिए जापान के दिवंगत प्रधानमंत्री शिंजो आबे के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘मैं जापान सरकार को धन्यवाद देता हूं और दिवंगत शिंजो आबे को याद करता हूं। हम दोनों ने मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक परियोजना को पूरा करने की कसम खायी थी।’
लगभग 17,840 करोड़ रुपये की लागत
उल्लेखनीय है कि लगभग 17,840 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित यह पुल लगभग 21.8 किमी लंबा और 6-लेन वाला है, जो 16.5 किमी लम्बा समुद्र के ऊपर और लगभग 5.5 किमी जमीन पर बना है। यह भारत का सबसे लंबा पुल है, जो देश का सबसे लम्बा समुद्री पुल भी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने नवी मुंबई में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि पिछले 10 वर्षों में देश ने अपने सपनों को हकीकत में बदलते देखा है। उन्होंने कहा कि आज का दिन मुंबई और महाराष्ट्र के साथ-साथ ‘विकसित भारत’ के संकल्प के लिए भी एक ऐतिहासिक दिन है। आज देश को दुनिया के सबसे लम्बे समुद्री पुलों में से एक अटल सेतु मिला है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में 24 दिसम्बर को इस सेतु का शिलान्यास किया था।
लोगों को उस सिस्टम से कोई उम्मीद नहीं थी
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों को उस सिस्टम से कोई उम्मीद नहीं थी, जिसमें काम को सालों तक लटकाने की आदत थी। लोगों को लगता था कि उनके जीवित रहते बड़ी परियोजनाओं का पूरा होना मुश्किल है। इसलिए मैंने भरोसा दिलाया था कि देश बदलेगा। यह उस समय ‘मोदी गारंटी’ थी। उन्होंने आगे कहा कि हमारे लिए शिलान्यास, भूमिपूजन, उद्घाटन, लोकार्पण सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम भर नहीं होता और ना ही मीडिया में आने के लिए और जनता को रिझाने के लिए होता है। हमारे लिए हर प्रोजेक्ट देश के नवनिर्माण का माध्यम है। मोदी ने कहा, ‘अटल सेतु, विकसित भारत की तस्वीर है। विकसित भारत कैसा होनेवाला है, उसकी एक झलक है। विकसित भारत में सबके लिए सुविधा होगी, सबकी समृद्धि होगी, गति होगी, प्रगति होगी, दूरियां सिमटेंगी और देश का कोना-कोना जुड़ेगा। जीवन हो या आजीविका, सब कुछ निरन्तर, बिना रुकावट के चलेगा। यही तो अटल सेतु का संदेश है।’
पहले हजारों करोड़ के महाघोटालों की चर्चा होती थी
प्रधानमंत्री ने कहा कि 10 साल पहले हजारों करोड़ के महाघोटालों की चर्चा होती थी और आज हजारों करोड़ रुपये के मेगा प्रोजेक्ट के पूरा होने की चर्चा होती है। उन्होंने कहा कि उज्ज्वला योजना हो, आयुष्मान भारत के तहत 05 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा हो, जन-धन खाते हों, पीएम आवास के पक्के घर हों, घरों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम हो, गर्भवती महिलाओं के बैंक खाते में 06 हजार रुपये भेजना हो, नौकरी करनेवाली महिलाओं को वेतन के साथ 26 हफ्ते की छुट्टी देना हो, सुकन्या समृद्धि खातों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा ब्याज देना हो, हमारी सरकार ने महिलाओं का खास ध्यान रखा है।
इनसेट
प्रधानमंत्री मोदी ने मुंबई में देश के सबसे लंबे ‘अटल सेतु’ का किया उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को देश के सबसे लम्बे समुद्री पुल अटल बिहारी वाजपेई शिवड़ी-न्हावा शेवा नामक अटल सेतु का उद्घाटन किया। इस पुल के निर्माण से मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को कनेक्टिविटी आसान हो जायेगी।
देश के सबसे बड़े समुद्री पुल मुंबई ट्रांसहार्बर लिंक
(एमटीएचएल) परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मोदी ने दिसम्बर 2016 में किया था। पुल का निर्माण 17,840 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। प्रधानमंत्री ने आज इस पुल को आम जनता के लिए खोल दिया। यह पुल लगभग 21.8 किमी लम्बा और 6-लेन वाला है। यह पुल 16.5 किमी. समुद्र के ऊपर और करीब 5.5 किमी जमीन पर बना है। अब मुंबई से पुणे, गोवा और दक्षिण भारत की यात्रा में लगनेवाला समय कम हो जायेगा। इस समुद्री पुल से मुंबई और नवी मुंबई की दूरी सिर्फ 20 मिनट में तय हो सकेगी। अभी दो घंटे का वक्त लगता था।
करीब 177,903 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल
अटल सेतु के निर्माण में करीब 177,903 मीट्रिक टन स्टील और 504,253 मीट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है। लगभग 17,840 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। इस पुल पर प्रतिदिन लगभग 70,000 वाहन अधिकतम 100 किमी प्रति घंटे की स्पीड से चलेंगे और यह 100 वर्ष चलता रहेगा। मानसून के दौरान उच्च-वेग वाली हवाओं का सामना करने के लिए विशेष रूप से लाइटिंग पोल डिजाइन किये गये हैं। बिजली से होनेवाली सम्भावित क्षति से बचाने के लिए लाइटिंग प्रोटेक्शन सिस्टम भी लगाया गया है। शिवड़ी से 8.5 किमी लम्बा नॉइज बैरियर स्थापित किया गया है, क्योंकि पुल का हिस्सा फ्लेमिंगो प्रोटेक्टेड एरिया और भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र से होकर गुजरता है। इस पुल को पूरा करने के लिए कुल 5,403 मजदूरों और इंजीनियरों ने प्रतिदिन काम किया।