नगालैंड में एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। यहां नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के 21 विधायक मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) में शामिल हो गए। एनडीपीपी के प्रवक्ता एम आर जमीर ने कहा कि एनपीएफ के इन विधायकों के दल बदलने के बाद पार्टी के पास 60 सदस्यीय विधानसभा में अब 42 विधायक हैं. एनपीएफ के पास पहले 25 विधायक थे। विधानसभा में एनपीएफ के पास अब चार विधायक हैं जबकि भाजपा के पास 12 और दो निर्दलीय विधायक हैं।
अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद विधायकों ने बदला पाला
इधर, विधानसभा अध्यक्ष शरिंगेन लॉन्गकुमार ने 21 एनपीएफ विधायकों के पार्टी बदलने के फैसले को स्वीकार कर लिया है।विधानसभा की ओर से कहा गया है कि एनडीपीपी (चिंगवांग कोन्याक) के अध्यक्ष से एक पत्र प्राप्त हुआ है और विलय को स्वीकार कर लिया गया है। बता दें कि प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है और दो दिन पहले एनपीएफ अध्यक्ष ने पत्रकारों से कहा था कि उनकी पार्टी राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी, इसके बाद विधायकों ने यह कदम उठाया है।
अब अकेले बहुमत में आई एनडीपीपी
हालांकि, इस साल की शुरुआत में एनपीएफ ने औपचारिक रूप से एनडीपीपी से पार्टी में विलय का अनुरोध किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री रियो को नई पार्टी का नेतृत्व करने को भी कहा था। जनवरी में एनपीएफ के एक प्रवक्ता ने कहा था, “हम सीएम नेफियू रियो और उनके विधायकों को एक साथ आने का निमंत्रण दे रहे हैं क्योंकि नगा परिवार में सभी की इच्छा है कि एनपीएफ और एनडीपीपी की क्षेत्रीय पार्टी को एक साथ आना चाहिए, लेकिन अब एनपीएफ के बड़ी संख्या में विधायक ही एनडीपीपी में आ गए। ऐसे में अब एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या अब भी एनडीपीपी को सरकार बनाए रखने के लिए भाजपा के 12 विधायकों के समर्थन की जरूरत बनी रहेगी,क्योंकि एनडीपीपी के खुद के पास ही बहुमत हो गया है।