Bihar politics : 2017 में जब नीतीश ने महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम था तो पार्टी ऊपर से लेकर नीचे तक गदगद थी। 2022 में बीजेपी का साथ छोड़कर आरजेडी को गले लगाया तो उनका (BJP) गला दुखने लगा। नीतीश कुमार अवसरवादी हो गए और उन्होंने जनादेश का घोर अपमान किया। पूरी इज्जत से यह राय भी जाहिर की जानी चाहिए कि 2017 में जनादेश का अपमान हुआ था या नहीं।
नीतीश पर हमले के लिए भाजपा ने सुशील मोदी को किया सामने
नीतीश कुमार के साथ 10 सालों तक डिप्टी सीएम रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी को उनके करीबी लोगों में माना जाता था। सुशील मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी के दौर में जेडीयू और भाजपा गठबंधन की सरकार स्थिर थी। इसके लिए नीतीश और सुशील मोदी की केमिस्ट्री को ही क्रेडिट दिया जाता रहा है। लेकिन, अब भाजपा ने उन्हीं सुशील मोदी को नीतीश कुमार पर हमलों के लिए आगे किया है। 10 अगस्त को नीतीश कुमार पर तीखे हमले बोलते हुए सुशील मोदी ने कहा कि उन्होंने धोखा दिया है। यही नहीं उन्होंने नीतीश कुमार की ताकत पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि यदि आपके नाम पर वोट मिला होता तो फिर 2020 में 43 सीटें ही नहीं जीतते। वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर मिला और नीतीश ने हमें चोट दी।
आरसीपी सिंह को लेकर विवाद निराधार
इसके अलावा आरसीपी सिंह को लेकर विवाद की बातों को भी सुशील मोदी ने गलत करार दिया। कहा कि यह सफेद झूठ है कि बिना पूछे ही आरसीपी सिंह को मंत्री बना दिया गया। अमित शाह ने इसके लिए फोन किया था और एक नेता का नाम मांगा था। नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह का नाम देते हुए कहा था कि ललन सिंह नाराज होंगे, उनका भी ख्याल रखना होगा। लेकिन, खुद ही आरसीपी का नाम भी दिया। आपको गठबंधन तोड़ना है तो तोड़ दें, लेकिन इस तरह के झूठ का प्रचार नहीं होना चाहिए। आप तो इतने ताकतवर थे कि जब चाहते, आरसीपी सिंह को हटवा देते।