Vigilance raid in Patna and other places. हमारे यहां रेखा गरीबी की होती है,अमेरिकी नहीं। भ्रष्टाचार की भी नहीं। तभी तो निगरानी के छापों में भ्रष्ट अधिकारियों के घर से करोड़ों करोड़ कैश बरामद हो जाते हैं। अद्यतन मामला बिहार के एक ड्रग इंस्पेक्टर का है, जिसके घर से 4 करोड़ कैश जप्त होने की बात कही जा रही है। नोटों को गिनने के लिए लाई गई मशीन भी गिनते-गिनते थक गई। उसमें तकनीकी खराबी आ गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पटना में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने 25 जून को ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार के चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह छापेमारी पटना सिटी के सुल्तानगंज स्थित उनके कार्यालय और आवास, दानापुर के गोला रोड स्थित फॉर्मेसी कॉलेज और गया शहर स्थित फ्लैट में हुई। नकद राशि का दायरा और अधिक हो सकने की भी बात है। इसके अलावा टीम की जांच में सोने-चांदी के आभूषण, जमीन व मकान और इंश्योरेंस पॉलिसीज का भी पता चला है।
पटना के अलावा रांची के पोस्ट इलाके में भी फ्लैट
देर शाम तक चली जांच में उनके व परिजनों के नाम पर पटना और रांची के पॉश इलाके में जमीन व फ्लैट का भी पता चला है। सुबह से लगी निगरानी की टीम शनिवार की देर शाम तक अथाह चल-अचल संपत्ति के आकलन व मूल्यांकन में जुटी रही। इससे पहले ड्रग इंस्पेक्टर के खिलाफ निगरानी थाने में दो करोड़ रुपये आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कराते हुए छापेमारी शुरू की गई।
2000 और ₹500 के नोट
जांच के दौरान ड्रग इंस्पेक्टर के सुलतानगंज थाना क्षेत्र के मलेरिया ऑफिस के समीप खान मिर्जा मुहल्ले में स्थित आवास पर बोरे, दीवान पलंग और कार्टून में छिपा कर रखी गई बड़ी मात्रा में नकदी बरामद हुई। दो हजार और पांच सौ रुपये के इन नोटों को गिनने के लिए निगरानी ने पहले करेंसी रीडर मशीन मंगाई, मगर गिनती पूरी होने से पहले ही मशीन खराब हो गई। मशीन खराब होने के बाद निगरानी के अधिकारियों ने अफसरों से बैंक कर्मी को भेजने का आग्रह किया, ताकि नोटों की गिनती पूरी की जा सके।