मोतिहारी के रक्सौल नगर परिषद की निर्वाचित पार्षद का चुनावी हलफनामे में सही तथ्य छुपाना महंगा पड़ गया है। हलफनामे में गलत जानकारी देने के कारण चुनाव आयोग ने उन्हें पद मुक्त कर दिया है। यह मामला रक्सौल नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 18 की पार्षद खुशबू देवी से जुड़ा है। इनके विरुद्ध रक्सौल के ब्लाॅक रोड के छोटकी परौआ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता सुरेश प्रसाद ने चुनाव आयोग मे वाद दायर किया था। इसमें उन्होने आरोप लगाया था कि खुशबू देवी वार्ड नंबर 18 से निर्वाचित वार्ड पार्षद हैं। उनकी तीन संतानें हैं, लेकिन चुनावी हलफनामे में उन्होंने दो ही बच्चों का जिक्र किया है। ऐसा करना कानूनन अपराध है। तीसरे और आखिरी संतान की जन्मतिथि 5 फरवरी 2019 है, जो बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18(1)(एम) में निर्धारित कटऑफ डेट 4 अप्रैल 2008 के बाद की है। पार्षद ने अपने चुनावी हलफनामे में तीसरे बच्चे का जिक्र तक नहीं किया था।
आयोग के निर्देश पर जिला प्रशासन ने की जांच
शादी सुरेश प्रसाद ने आरोप के पक्ष मे कई पुख्ता साक्ष्य भी आयोग के समक्ष प्रस्तुत किये। इसकी जांच चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला प्रशासन ने किया।इस मामले की सुनवाई 4 मार्च, 23 मार्च और 30 मार्च 2022 को हुई। इस दौरान खूशबू देवी को साक्ष्य प्रस्तुत करने का जिला प्रशासन ने अवसर दिया, लेकिन जांच और सुनवाई के दौरान वादी सुरेश प्रसाद के आरोपो का खंडन या निराधार होने का कोई साक्ष्य खूशबू देवी या उनके वकील द्धारा प्रस्तुत नही किया जा सका। अंतत: जिला प्रशासन ने जांच प्रतिवेदन चुनाव आयोग को सौपा। इसके बाद राज्य चुनाव आयुक्त ने नगर पालिका अधिनियम 2007 की धाराओं के तहत खुशबू देवी को वार्ड सदस्य पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। साथ ही रक्सौल के वार्ड 18 के पार्षद पद को रिक्त घोषित करते हुए आयोग ने उक्त आदेश की काॅपी नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव,जिला निर्वाचन पदाधिकारी और रक्सौल नगर परिषद प्रशासन को भेज दिया है।