दुनिया के सबसे ऊंचे और बड़े विराट रामायण मंदिर का शुभारंभ मंगलवार से हो गया। 3 मई 2022 यानी मंगलवार से कार्य आरंभ होने के कारण इसे मंगलकारी माना जा रहा है। इस मंदिर में दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग स्थापित होगा। यह जानकारी आज विराट रामायण मंदिर के कर्ता-धर्ता पूर्व आईपीएस पदाधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने परिसदन में पत्रकारों से बात करते हुए दी। आचार्य कुणाल ने बताया कि केरल के कन्याकुमारी से 130 फुट से ज्यादा बड़े चट्टान को लेकर महाबलीपुरम में शिवलिंग का स्वरूप देने के लिए दिया जा रहा है। यह शिवलिंग ग्रेनाइट के पत्थर से निर्मित किया जा रहा है जो सहस्त्र लिंगम होगा। देश के 14 साल पहले के मंदिरों में इस तरह का शिवलिंग दिखाई देता है।
शिवलिंग को मोतिहारी लाने के लिए 130 फीट लंबे ट्रक की जरूरत पड़ेगी
उन्होंने बताया कि वर्तमान में विश्व का सबसे ऊंचा शिवलिंग तंजौर के मंदिर में स्थापित है। शिवलिंग को मोतिहारी लाने के लिए 130 फीट लंबे ट्रक की जरूरत पड़ेगी। जिसका वजन करीब 130 मीट्रिक टन ज्यादा होगा।वर्ष से ज्यादा होगा शिवलिंग की स्थापना के
बाद प्राण प्रतिष्ठा होगी और इस पर सरयू गंगा के संगम से कांवरियों के द्वारा जलाभिषेक किया जाएगा। मंदिर का ढांचा ढाई साल में तैयार हो जाएगा।
इतिहास और दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों का अध्ययन कर किया जा रहा इस मंदिर का निर्माण
कुणाल ने बताया कि राम जानकी फोरलेन पथ मंदिर को स्पर्श करते हुए गुजरेगी। अंकोरवाट मंदिर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विराट रामायण मंदिर को
कंबोडिया के सरकार ने पूरे दुनिया में प्रसिद्ध – कर दिया। इस मंदिर का निर्माण इतिहास और दुनिया के सबसे बड़े मंदिरों का अध्ययन करके किया जा रहा है और इसके डिजाइन में भी एक अलग शैली दिखेगी। इस मंदिर में मुख्य शिखर 270 फीट, चार शिखर 180 फीट एवं पांच शिखर 135 फीट के होंगे। इस मंदिर में भगवान श्री राम शिवजी की पूजा करते दिखेंगे। उनके बगल में पवनपुत्र हनुमान जी सामग्री लेकर खड़े दिखाई देंगे लक्ष्मण जी रक्षा प्रहरी के रूप में धनुष लेकर विराजमान होंगे।
बुजुर्गों के लिए मंदिर में लिफ्ट और एलीवेटर
मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित होंगी। मंदिर का गर्भगृह 180 फीट गुणा 180 फीट का होगा। मंदिर परिसर में 800 फीट गुणा 400 फीट का भव्य शिवगंगा तालाब का निर्माण किया रहा है। जहां
भक्तजन शुद्ध जल में स्नान करके मंदिर में जलाभिषेक करेंगे। जलाभिषेक करने के लिए विशेष प्लेटफार्म का निर्माण किया जाएगा। बुजुर्गों के लिए मंदिर पर लिफ्ट और एलीवेटर लगाए जाएंगे। जानकी नवमी के दिन मंदिर के “जमीन के अंदर गर्भगृह का निर्माण कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। इस मंदिर में दान देने वाले भू दाताओं का नाम बड़े अक्षरों में एवं बिक्री करने वाले भू दाताओं का नाम उससे छोटे अक्षरों में रहेगा जो एक स्तंभ पर अंकित रहेगा। आचार्य श्री कुणाल ने कहा कि हनुमान जी की प्रेरणा से ही वे लिया आए नहीं तो पहले वे हाजीपुर सीतामढ़ी एवं अन्य जगहों पर मंदिर के लिए जमीन की तलाश कर रहे थे।