Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

आपातकाल पर भाजपा का कांग्रेस पर निशाना, कहा-संविधान की हत्या के बारे में आज की पीढ़ी को जानना जरूरी

आपातकाल पर भाजपा का कांग्रेस पर निशाना, कहा-संविधान की हत्या के बारे में आज की पीढ़ी को जानना जरूरी

Share this:

New Delhi news : भारतीय जनता पार्टी आपातकाल की यातनाओं को लेकर कांग्रेस पार्टी पर लगातार हमलावर है। 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने की केन्द्र सरकार की घोषणा के बाद भाजपा ने कांग्रेस और सभी विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि संविधान की हत्या करने वालों और इस घटना से लोगों को हुई तकलीफों के बारे में आज की पीढ़ी को जानकारी होनी चाहिए। संविधान हत्या दिवस मनाने के पीछे यही उद्देश्य है कि देश की जनता जाने की किस तरह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए लोकतंत्र का गला घोंट दिया था।  भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में पार्टी प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आपातकाल के दौरान देश में घटी घटनाओं के बारे में आज की पीढ़ी को जानने की आवश्यकता है। 

ये भी पढ़े:सीमावर्ती गांवों से पलायन को रोकने के लिए रोजगार और कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता : अमित शाह

कांग्रेस ने सात तरीके से संविधान की हत्या की

लोगों को पता चलना चाहिए कि संविधान की हत्या किसे कहते हैं। कांग्रेस ने सात तरीके से संविधान की हत्या की। इंदिरा गांधी को देश के ऊपर रखा गया। यह विचार नाजीवाद से प्रेरित था। आपातकाल के दौरान देश के सभी नागरिकों के अधिकारों को समाप्त कर दिया गया था। लोगों के जीवन का अधिकार समाप्त कर दिया गया था। लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया था। आज कांग्रेस पार्टी के नेता संविधान की कॉपी लेकर घूम रहे हैं और कह रहे हैं कि 50 साल पहले की घटना है। शिव सेना नेता संजय राउत के आपातकाल के लिए अराजकता को जिम्मेदार ठहराने वाले बयान पर हमला बोलते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने इंडी गठबंधन से पूछा कि क्या जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुआ आन्दोलन अराजक था? लालू प्रसाद यादव इस आन्दोलन में शामिल थे, तो क्या आराजकता में शामिल थे और अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव अराजकता का हिस्सा थे? सत्ता के भूख में ये लोग अपने ऊपर अराजकता का स्टैंप लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं।

इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनावी कदाचार और चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया था

भाजपा के राज्यसभा सदस्य और पार्टी प्रवक्ता सुधांशु ने कहा कि भारत के इतिहास में, इंदिरा गांधी एकमात्र व्यक्ति हैं, जिन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनावी कदाचार और चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया था। उनकी सदस्यता रद्द कर दी गयी थी। जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तब भी उनकी सदस्यता रद्द कर दी गयी। वह छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकीं। इसके साथ लोकसभा की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकीं और वोट भी नहीं दे सकीं। तभी उन्होंने आपातकाल लगा दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह प्रवृत्ति पहले से रही है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने के लिए जवाहरलाल नेहरू द्वारा पहला संवैधानिक संशोधन किया गया था। बाबासाहब आम्बेडकर को इस फैसले से इतना ठगा महसूस हुआ कि उन्होंने अपना दुख व्यक्त किया। ‘संविधान की हत्या’ तब हुई, जब पंडित नेहरू की कार्यशैली की तुलना हिटलर से करने के लिए मजरूह सुल्तानपुरी को दो साल की जेल हुई। रेडियो के एक प्रोग्राम में भाग लेने से इनकार करने पर गायक किशोर कुमार के गानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

Share this: