भाजपा (Bhartiya Janata party) ने भूपेन्द्र सिंह चौधरी को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाकर एक साथ कई चीजों को साधने का प्रयास किया है। भाजपा के इस कदम से उत्तर प्रदेश मैं तो फायदा मिलेगा ही। इसका असर आसपास के राज्यों में भी होगा। इस भाजपा को बड़े फायदे मिलने के आसार हैं। भारतीय जनता पार्टी के इस निर्णय से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जाट व पिछड़ा वर्ग में अच्छा संदेश गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जमीनी कार्यकर्ता के रूप में पहचान रखने वाले चौधरी को आगे कर भाजपा ने हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और पंजाब को संदेश देने की कोशिश करती दिख रही है। इस निर्णय का असर इन राज्यों में भी होगा। इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा।
राम मंदिर आंदोलन के दौरान जुड़े थे भाजपा से
1991 में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान भाजपा के साथ जुड़कर जिले की राजनीति प्रारंभ करने वाले भूपेन्द्र चौधरी आज 25 करोड़ की जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक जाना पहचाना चेहरा बन गए हैं। केन्द्र और राज्य की सत्ताधारी पार्टी के वह मुखिया बनाए गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने चौधरी पर इसलिए विश्वास जताया है कि क्योंकि वह पुराने और जमीन से जुड़े हुए कार्यकर्ता होने के साथ-साथ वह पिछड़ा वर्ग से आते हैं। इससे भी अहम बात यह है कि वह जाट समुदाय से आते हैं। बताया जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 15 से 20 लोकसभा सीटों पर जाट समुदाय का खासकर असर होता है। इन सीटों पर भाजपा के 2019 के लोकसभा चुनाव में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। इतना ही नहीं 2014 में जीती हुई करीब आधा दर्जन सीटों पर भाजपा को सपा-बसपा गठबंधन से हार मिली थी। 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भूपेन्द्र मुफीद चेहरा माने जा रहे हैं। भूपेंद्र चौधरी आम कार्यकर्ताओं के लिए सुलभ हैं। कार्यकर्ता उनसे अपनी बात बेझिझक उनसे कह सकते हैं। पार्टी के लोगों का मानना है कि चौधरी के अध्यक्ष बनाए जाने से भाजपा का आम कार्यकर्ता बेहद खुश है। इसका असर पूरे प्रदेश में दिखाई देगा। चौधरी पूरे प्रदेश को एक सूत्र में बांधने वाले नेता साबित हो सकते हैं।