Central government is bringing strict law to stop exam paper leak, 10 years jail and Rs 1 crore fine to the accuse, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : मोदी सरकार प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार रोकने को प्रतिबद्ध है। इसके लिए वह कड़ा कानून ला रही है। मिल रही जानकारी के अनुसार परीक्षा में व्याप्त अनियमिताओं को दूर करने के लिए अगले सप्ताह सरकार संसद में विधेयक पेश करने की तैयारी कर चुकी है। प्रस्तावित सार्वजनिक परीक्षा विधेयक 2024 में अधिकतम 10 साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
अभी हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा अनुमोदित विधेयक में छात्रों को इसके प्रावधानों से छूट देते हुए संगठित गिरोहों, माफिया व कदाचार में शामिल लोगों को दंडित करना है। इसके अलावा ऐसे लोगों के साथ मिलीभगत करते पाए जाने वाले सरकारी अफसरों को भी परिणाम भुगतना होगा। सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 लाने की मोदी सरकार की मंशा की घोषणा करते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को संसद की संयुक्त बैठक में कहा था “मेरी सरकार परीक्षाओं में अनियमितताओं के संबंध में युवाओं की चिंताओं से भलीभांति अवगत है।
परीक्षा पेपर लीक होने के कारण परीक्षाएं हुईं थीं रद्द
केंद्र सरकार की यह पहल प्रश्न पत्र लीक होने के कारण रद्द हुई प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को लेकर है। सरकार की मंशा है कि वह इस मामले में ऐसा कड़ा कानून बनाएगी, जिससे कि ऐसा काम करने वालों को दोबारा करने में कई बार सोचना पड़े। अभी हाल में ही पेपर लीक होने के कारण राजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा, हरियाणा में ग्रुप-डी पदों के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी), गुजरात में जूनियर क्लर्क के लिए भर्ती परीक्षा व बिहार में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा को रद्द करना पड़ा है। इसके अलावा इस विधेयक में सार्वजनिक परीक्षाओं पर एक उच्च स्तरीय राष्ट्रीय तकनीकी समिति बनाने का भी प्रस्ताव है। यह समिति कम्प्यूटरीकृत परीक्षा प्रक्रियाओं की सुरक्षा बढ़ाने, डिजिटल प्लेटफार्मों को सुरक्षित करने के लिए प्रोटोकॉल विकसित करने के साथ परीक्षा केंद्रों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सुनिश्चित करेगी। परीक्षा में उपयोग किए जाने वाले आईटी और भौतिक बुनियादी ढांचे के लिए यह समिति मानक भी तैयार करेगी।
जेल और जुर्माने का प्रावधान
सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग में शामिल लोगों का एक संगठित समूह, जिसमें सेवा प्रदाता अथवा परीक्षा प्राधिकरण से जुड़े लोग भी शामिल हैं, पर आरोप सिद्ध होने के बाद 5 से 10 साल की जेल और कम से कम एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा। ऐसे संगठित अपराध में शामिल संस्थानों पर भी एक करोड रुपए का जुर्माना लगेगा। इसके साथ-साथ संस्थान की संपत्ति भी कर्क होगी। हालांकि जो लोग अच्छे काम करेंगे, उन्हें कानूनी और विभागीय कार्रवाई से बचाया भी जाएगा। संगठित परीक्षा माफियाओं के लिए काम करने वाले लोक सेवकों को यही सजा मिलेगी।