Delhi High Court (दिल्ली उच्च न्यायालय) ने 28 मार्च को माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर को जमकर लताड़ा। कोर्ट ने पूछा कि जब आप अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट को ब्लॉक कर सकते हैं, तो फिर हिंदू देवी-देवताओं पर आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करने वाले अकाउंट पर बैन क्यों नहीं लगाते। कोर्ट ने कहा कि आपका रवैया बताता है कि ट्विटर ऐसे संवेदनशील मसलों के प्रति कितना गंभीर है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की बेंच मां काली पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के खिलाफ दायर आदित्य सिंह देसवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान कोर्ट ने ट्विटर से पूछा कि आपने यह टिप्पणी करने वाले अकाउंट के खिलाफ क्या कार्रवाई की है।
स्थायी रूप से अकाउंट निलंबित करने की नीति की व्याख्या कर दाखिल करें जवाब
ट्विटर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि ट्विटर ने आपत्तिजनक कंटेंट हटा दिया है, साथ ही मामले में FIR भी दर्ज की है। कोर्ट ने कहा कि ट्विटर इस तरह के अकाउंट को ब्लॉक क्यों नहीं करता। बेंच ने ट्विटर को निर्देश दिया कि वह किसी यूजर का खाता स्थायी तौर पर निलंबित करने से जुड़ी अपनी नीति की व्याख्या करते हुए जवाब दाखिल करे।
केंद्र सरकार को भी जवाब देने का निर्देश
कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी इस संबंध में जवाब देने का निर्देश दिया है। बेंच ने सरकार से पूछा कि क्या सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत इस तरह के अकाउंट्स पर कार्रवाई करने की जरूरत है। यह पोस्ट एथिस्ट रिपब्लिक नाम के ट्विटर अकाउंट से की गई है।