National news, National update, New Delhi news, new Delhi news, latest National Hindi news : राजधानी गैस के चैंबर में तब्दील होती दिखाई दे रही है। हालत यह है कि शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक 450-500 के बीच दर्ज किया जा रहा है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाने के मामले में 25-30 सिगरेट के धुएं के बराबर है। यानी हर व्यक्ति रोजाना कम से कम 25 सिगरेट जितना धुएं का सेवन कर रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक लोगों को सांस लेने की समस्याएं होने लगी हैं, खासकर अस्थमा के मरीजों की मुश्किलें कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी हैं। अस्पतालों में सांस से सम्बन्धित बीमारियों के मरीजों की संख्या में 20 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।
हवा की गुणवत्ता बहुत खराब और गम्भीर श्रेणी में
मेदांता के इंस्टीट्यूट आफ इंटरनल मेडिसिन, रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि हवा की गुणवत्ता बहुत खराब और गम्भीर श्रेणी में है। यह लोगों के सभी अंगों पर प्रतिकूल असर डालती है। सल्फर डाइआॅक्साइड, नाइट्रोजन आॅक्साइड, ओजोन और कण जैसे जहरीले धुएं फेफड़ों में प्रवेश करते हैं तो यह अन्य प्रणालियों को भी प्रभावित कर सकता है।
बाहर जाने से बचने की सलाह
उन्होंने कहा कि जब एक्यूआई का स्तर बहुत ज्यादा हो तो बाहर जाने से बचने की कोशिश करनी चाहिए और यदि बाहर जाना जरूरी हो तो मास्क का उपयोग करें। सुबह की सैर और बाहरी व्यायाम से बचें। घर पर वायु शोधक यंत्रों का उपयोग करें। मेदांता अस्पताल के वरिष्ठ फेफड़े विशेषज्ञ डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि वायु प्रदूषण से सभी आयु वर्ग के लोग प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं। यहां तक कि अजन्मे बच्चे यानी भ्रूण पर पर भी इसका असर पड़ता है। प्रदूषित कण मां से रक्त के माध्यम से भ्रूण तक पहुंच जाते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं।