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DIPLOMACY : इंडिया और रूस की दोस्ती अटूट, बाहरी दबाव का नहीं पड़ेगा कोई असर, PM मोदी ने…

DIPLOMACY : इंडिया और रूस की दोस्ती अटूट, बाहरी दबाव का नहीं पड़ेगा कोई असर, PM मोदी ने…

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India and Russia are best friends. Unbreakable friendship can’t be affected by other forces. भारत और रूस दुनिया में सबसे अच्छे दोस्त हैं। इनकी दोस्ती अटूट है और यह किसी भी बाहरी ताकत से प्रभावित नहीं हो सकती। इस दोस्ती की नींव भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में पड़ी और यह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समय तक अबाध जारी है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के हालात में भारत ने अपनी दोस्ती को 100% निभाया और उसने भारत के रुख को 100% सराहा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करके अमेरिका और पश्चिमी देशों को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि रूस भारत का पुराना मित्र है और बदलती भू-राजनीतिक स्थितियों में भी इस दोस्ती में कहीं भी कमी नहीं आएगी।

रूसी विदेश मंत्री से 40 मिनट तक हुई भारतीय प्रधानमंत्री मोदी की बातचीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 April को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई से करीब 40 मिनट तक बातचीत की। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पिछले एक पखवाड़े में करीब आधा दर्जन देशों के विदेश मंत्री या वरिष्ठ अधिकारी भारत आए हैं, लेकिन पीएम ने उनमें से किसी से भी मुलाकात नहीं की। एक दिन पहले ही ब्रिटेन की विदेश मंत्री आई हुई थीं। इससे पूर्व चीन और मैक्सिको के विदेश मंत्री भी भारत का दौरा कर चुके हैं। अधिकारियों में अमेरिका, जर्मनी और नीदरलैंड के सुरक्षा सलाहकार या इसके समकक्ष भारत आए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हुई।

शांति स्थापना के लिए भारत तैयार

रूस के विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान एक जो महत्वपूर्ण बात हुई है, उसमें भारत की उस सोच को बल मिला है कि रूस-यूक्रेन के बीच शांति स्थापना के प्रयासों के लिए वह कोई भी योगदान देने को तैयार है। बताया जाता है कि यह बात पीएम ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भी बातचीत में कही थी और आज रूस के विदेश मंत्री के समक्ष फिर दोहराया। गौरतलब है कि इस बैठक से कुछ घंटे पहले ही रूसी विदेश मंत्री एक सवाल के जवाब में यह कहकर हटे थे कि भारत मध्यस्थता करने में सक्षम हो सकता है। इसलिए दोनों पक्षों के बयानों को देखा जाए और आगे यूक्रेन भी इस पर सहमत हो तो इस विवाद को खत्म करने में भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।

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