उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को पति के पक्ष में दी गई तलाक की डिग्री को यह कहते हुए सिरे से रद कर दिया कि भारत में सामाजिक स्थिति को देखते हुए महिलाओं के लिए वैवाहिक दर्जा बेहद अहम है। जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट की पीठ के समक्ष पति का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल एक साधु बन गया है, और वह पत्नी के साथ फिर वैवाहिक संबंधों में नहीं बंध सकता। इस पर पीठ ने पति के वकील से कहा, ‘अगर आपने दुनिया छोड़ दी है, तो आपने सब कुछ छोड़ दिया है, ठीक है न?’ पीठ ने आगे कहा, ‘हम तलाक की डिक्री रद कर देंगे। आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।’
शीर्ष अदालत पत्नी की अपील पर विचार कर रही थी जिसमें परित्याग के आधार पर हाई कोर्ट द्वारा दी गई तलाक की डिक्री को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने कहा- अब पति शादी नहीं कर सकता
पत्नी की ओर से पेश अधिवक्ता पुरुषोत्तम त्रिपाठी ने कहा, हाई कोर्ट ने विशेष रूप से कहा था कि पति ने किसी क्रूरता का सामना नहीं किया था और महिला ने अपनेआप ससुराल नहीं छोड़ा था। पति के वकील ने बताया कि उनके मुवक्किल ने हाई कोर्ट के निर्देश पर पत्नी को पहले ही पांच लाख रुपये का भुगतान कर दिया है। इस पर जस्टिस ललित ने कहा, ‘किसी प्रकार की अनुग्रह राशि के भुगतान के रूप में उन्हें आनंद लेने दें..।’ इसके साथ ही पीठ ने तलाक की डिग्री रद करते हुए कहा कि अब पति शादी नहीं कर सकता।