पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किए गये राज्य के बड़े नेता पार्थ चटर्जी पश्चिम बंगाल के इतिहास की किताब का वर्तमान में अभिन्न हिस्सा हैं। उन्हें राज्य में अच्छे नेता के तौर पर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। उनके बारे में किताबों में यह भी दावा किया गया है कि वह लोकतंत्र के बेहतरी के लिए हमेशा लड़ते रहे हैं। यह बात राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु की मौजूदगी में पाठ्यक्रम समिति के अध्यक्ष अभिक मजूमदार ने सोमवार को स्वीकार भी किया है।
आठवीं कक्षा के इतिहास की पुस्तक में दर्ज हैं पार्थ
शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तारी के बाद पार्थ चटर्जी और उनकी महिला मित्र अर्पिता मुखर्जी के घर से 50 करोड़ रुपये नकद, 3.5 करोड़ के सोने-चांदी के जेवर, विदेशी मुद्रा और 20 मोबाइल फोन बरामद हो चुके हैं। 12 से अधिक मुखौटा कंपनियों के दस्तावेज मिले हैं। एक दर्जन से अधिक ऐसी संपत्तियां मिली हैं। इसके मालिक पार्थ और अर्पिता हैं। चटर्जी का कोई दूसरा बिजनेस नहीं है। इसके बावजूद वह धनकुबेर निकले। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया है और तृणमूल कांग्रेस ने भी उन्हें पार्टी के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। अब जबकि खुलासा हुआ है कि इतिहास की किताब में उन्हें महान नेता के तौर पर पढ़ाया जा रहा है तो इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आठवीं श्रेणी की इतिहास की किताब में उनके बारे में पढ़ाया जा रहा है।
2016 में किताब में दर्ज किए गए थे पार्थ चटर्जी
उनका नाम महान नेताओं की सूची से हटा कर बच्चों को इस संबंध में पढ़ाए जाने से रोकने के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में मजूमदार ने कहा कि इस संबंध में मैं बहुत अधिक नहीं कर सकता। यह एक नीतिगत निर्णय है। शिक्षा मंत्री जो कुछ निर्णय लेंगे उसी के मुताबिक काम किया जाएगा। जब वह मीडिया से यह बात कर रहे थे, तब उनके बगल में ही शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु बैठे हुए थे। सोमवार को विकास भवन में उन्होंने उच्च स्तरीय बैठक की है। इसमें शिक्षा विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे हैं। मजूमदार ने बताया कि जिस किताब में पार्थ के बारे में पढ़ाया जा रहा है वह 2016 में लिखी गई थी। उस समय जो कुछ भी लिखा गया वह सत्य था। इसके अलावा पार्थ चटर्जी के बारे में जो कुछ भी लिखा गया है वह भी सत्य ही है।
स्वयं अपना इतिहास लिखवाया और उसे लागू भी किया
बताते चलें कि जब किताब लिखी गई थी तब पार्थ खुद राज्य के शिक्षा मंत्री थे और उन्होंने अपने ही बारे में इतिहास के किताब में लिखवा कर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। लिखा गया है कि सिंगूर आंदोलन में ममता बनर्जी ने जब देखा कि लोगों के साथ अन्याय हो रहा है तो उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया और तब के नेता प्रतिपक्ष पार्थ चटर्जी ने उनका साथ दिया।