During the hearing in the Supreme Court, the Center said, Rohingya Muslims have no fundamental right to settle., Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : केन्द्र की मोदी सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से साफ कह दिया है कि अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करनेवाले रोंहिग्या मुसलमानों को देश में बसने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं, केन्द्र ने साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के अधिकारों की एक सीमा है, और सुप्रीम कोर्ट उस हद को पार करके संसद की शक्तियों को कमतर नहीं कर सकता है। केन्द्र सरकार ने कहा कि न्यायपालिका को संसद और कार्यपालिका के विधायी और नीतिगत क्षेत्रों में प्रवेश करके अवैध रूप से भारत में प्रवेश करनेवालों को शरणार्थी का दर्जा देने के लिए एक अलग कैटिगरी बनाने का कोई अधिकार नहीं है।
दरअसल, याचिकाकर्ता प्रियाली सुर ने हिरासत में लिये गये रोहिंग्या की रिहाई की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसके जवाब में मोदी सरकार ने कहा कि भारत में अवैध रूप से प्रवेश करनेवालों से विदेशी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निपटा जायेगा। सरकार ने कहा कि भारत ने 1951 के शरणार्थी सम्मेलन और शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किया है और रोहिंग्या से अपने घरेलू कानूनों के अनुसार ही निपटेगा।
याचिकाकर्ता सुर ने तिब्बत और श्रीलंका के शरणार्थियों का हवाला देकर मांग की कि रोहिंग्याओं के साथ भी मोदी सरकार वैसा ही व्यवहार करे। इसका विरोध कर मोदी सरकार ने कहा, किसी भी वर्ग के लोगों को शरणार्थी के रूप में मान्यता दी जाये या नहीं, यह एक शुद्ध नीतिगत निर्णय है।