Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

न्यायालयों में ‘स्थगन की संस्कृति’ को बदलने के प्रयास होने चाहिए : राष्ट्रपति 

न्यायालयों में ‘स्थगन की संस्कृति’ को बदलने के प्रयास होने चाहिए : राष्ट्रपति 

Share this:

भारत मंडपम में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय जिला न्यायपालिका सम्मेलन के समापन सत्र में शामिल हुईं द्रौपदी मुर्मू

New Delhi news: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए अदालतों में ‘स्थगन की संस्कृति’ को बदलने के प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे गरीब लोगों को अकल्पनीय कष्ट होता है। इस स्थिति को बदलने के हर सम्भव उपाय किये जाने चाहिए। राष्ट्रपति नयी दिल्ली में भारत मंडपम में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय जिला न्यायपालिका सम्मेलन के समापन सत्र को सम्बोधित कर रही थीं।  उन्होंने कहा कि गांव का गरीब आदमी न्याय प्रक्रिया में भाग लेने से डरता है और चुपचाप अन्याय सहता रहता है। उसे लगता है कि कोर्ट कचहरी में जाने से उसका जीवन और अधिक कष्टमय में हो जायेगा। उन्होंने कहा कि न्यायालय के समक्ष निलम्बित मामले हम सबके सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं। इस समस्या को प्राथमिकता देकर सभी हितधारकों को समाधान निकालना है।

राष्ट्रपति ने इस दौरान न्याय प्रक्रिया में अमीरी-गरीबी के अन्तर पर ध्यान केन्द्रित कराया। उन्होंने कहा कि यह हमारे सामाजिक जीवन का एक दुखद पहलू है कि कुछ मामलों में, साधन सम्पन्न लोग अपराध करने के बाद भी निर्भीक और स्वच्छंद घूमते रहते हैं। जो लोग उनके अपराधों से पीड़ित होते हैं, वे डरे-सहमे रहते हैं ; मानो उन्हीं बेचारों ने कोई अपराध कर दिया हो। उन्होंने कहा कि अदालती परिस्थितियों में आम लोगों का तनाव स्तर बढ़ जाता है, जिसे उन्होंने ‘ब्लैक कोर्ट सिंड्रोम’ नाम दिया और सुझाव दिया कि इसका अध्ययन किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कारावास काट रहीं महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कभी-कभी मेरा ध्यान कारावास काट रहीं माताओं के बच्चों तथा बाल अपराधियों की ओर जाता है। उन महिलाओं के बच्चों के सामने पूरा जीवन पड़ा है। ऐसे बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए क्या किया जा रहा है, इस विषय पर आकलन और सुधार हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

अधिकारियों के चयन में महिलाओं की संख्या बढ़ी

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की, कि हाल के वर्षों में न्यायिक अधिकारियों के चयन में महिलाओं की संख्या बढ़ी है। इस वृद्धि के कारण कई राज्यों में कुल न्यायिक अधिकारियों की संख्या में महिलाओं की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक हो गयी है। उन्होंने आशा व्यक्त की, कि न्यायपालिका से जुड़े सभी लोग महिलाओं के विषय में पूर्वाग्रहों से मुक्त विचार, व्यवहार और भाषा के आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।

जनपद स्तर के न्यायालयों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जनपद स्तर के न्यायालय ही करोड़ों देशवासियों के मस्तिष्क में न्यायपालिका की छवि निर्धारित करते हैं। इसलिए जनपद न्यायालयों द्वारा लोगों को संवेदनशीलता और तत्परता के साथ कम खर्च पर न्याय सुलभ कराना हमारी न्यायपालिका की सफलता का आधार है।

Share this: