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Election  2024 : उत्तराखंड में भाजपा के पास इतिहास रचने का मौका, चुनौती भी कम नहीं

Election  2024 : उत्तराखंड में भाजपा के पास इतिहास रचने का मौका, चुनौती भी कम नहीं

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Election 2024: BJP has a chance to create history in Uttarakhand, the challenge is also no less. Dehradun news, Uttarakhand news, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : लोकसभा चुनाव में इस बार उत्तराखंड में भाजपा के पास इतिहास रचने का मौका है। 2014 और 2019 की तरह ही यदि इस बार भी पांचों सीट पर स्कोर 5-0 रहा, तो भाजपा इतिहास रच देगी। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद ऐसा कोई नहीं कर पाया है। भाजपा इतिहास रचने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए है। हर सीट पर वह मजबूत है, लेकिन उसे चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है। इन स्थितियों के बीच, मोदी लहर और मजबूत संगठन दो ऐसे आधार हैं, जिन्हें भाजपा जीत की गारंटी मान कर चल रही है। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद सबसे पहले 2004 में चुनाव हुए थे, तब पांच में से भाजपा ने तीन सीटें जीती थीं। इसके बाद, 2009 के चुनाव में पांचों सीटें कांग्रेस के खाते में चली गयी थीं। 2014 और 2019 में पांचों सीटें भाजपा ने जीतीं। अब 2024 का चुनाव सामने है, जिसमें भाजपा पांचों सीट जीत कर हैट्रिक लगाने की कोशिश में है। भाजपा हर सीट पर मजबूत है। हरिद्वार, नैनीताल और अल्मोड़ा सीटों पर भाजपा सबसे सहज है। हरिद्वार की बात करें, तो यहां पर वोटों का बिखराव भाजपा को प्लस कर रहा है। भाजपा उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की राजनीतिक इमेज उनके मुकाबले खडे़ हर उम्मीदवार से इक्कीस है। उनका मुकाबला कांग्रेस के विरेंद्र रावत से ही माना जा रहा है, जो कि अपने पिता हरीश रावत के सहारे चुनाव मैदान में संघर्ष कर रहे हैं। बसपा के जमील अहमद और निर्दलीय खानपुर विधायक उमेश कुमार मुकाबले के अलग-अलग कोण उभारने की कोशिश में है। कुल मिला कर यहां पर वोटों का जबरदस्त बिखराव भाजपा को लाभ प्रदान कर रहा है। नैनीताल और अल्मोड़ा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में आमने-सामने का मुकाबला है। नैनीताल सीट पर भाजपा के केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट के सामने कांग्रेस के प्रकाश जोशी हैं। कांग्रेस यहां पर बहुत बड़ी चुनौती भाजपा के सामने रखती हुई नजर नहीं आ रही है। यही स्थिति, अल्मोड़ा सीट पर भी दिख रही है, जहां पर भाजपा से निवर्तमान सांसद अजय टम्टा के सामने कांग्रेस के प्रदीप टम्टा हैं।

टिहरी और पौड़ी गढ़वाल सीट की बात करें, तो यहां दोनों ही जगह भाजपा को विरोधियों से मजबूत चुनौती मिल रही है। दिलचस्प बात यह है कि पौड़ी गढ़वाल में आमने-सामने की लड़ाई है, तो टिहरी में संघर्ष त्रिकोणीय होता जा रहा है। टिहरी सीट पर भाजपा उम्मीदवार माला राज्य लक्ष्मी शाह के मुकाबले में कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला और युवा निर्दलीय चेहरा बॉबी पंवार हैं। भाजपा को मजबूत संगठन, प्रचार में तेजी और वोटों के बिखराव से जीत की आस है। मगर, दस वर्षों तक लगातार सांसद रहने के बावजूद उसके उम्मीदवार की अपेक्षाकृत सक्रियता न रहने से भाजपा को जीतने के लिए कहीं ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा है।

सबसे कांटे का मुकाबला पौड़ी गढ़वाल सीट पर है, जहां पर भाजपा उम्मीदवार अनिल बलूनी और कांग्रेस के गणेश गोदियाल आमने-सामने हैं। दोनों उम्मीदवारों की अपनी-अपनी खासियत है, जो मुकाबले में रोमांच पैदा कर रही है। मोदी-शाह से करीबी की वजह से बलूनी उत्तराखंड भाजपा की राजनीति में वह हैसियत प्राप्त कर चुके हैं, जहां पर किसी के लिए भी उन्हें नजरअंदाज करना सम्भव नहीं है। दूसरी तरफ, कांग्रेस के गणेश गोदियाल हैं, जो कि अपनी खुद की जुझारू छवि की बदौलत भाजपा को दमदार चुनौती दे रहे हैं। इन स्थितियों के बीच, भाजपा ने अपने तमाम स्टार प्रचारकों को उत्तराखंड में उतार कर इतिहास रचने के अपने संकल्प को सामने रखा है। चुनाव के नतीजे क्या रहते हैं, यह देखनेवाली बात होगी।

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