Uttar Pradesh (उत्तर प्रदेश) में इस बार के विधानसभा चुनाव परिणाम राज्य के 37 साल के राजनीतिक इतिहास में नए आयाम को जोड़ रहे हैं। 2017 की तुलना में भाजपा की कुल मिलाकर सीटों की संख्या जरूर कम हुई है, पर उसका वोट प्रतिशत बढ़ा है। यह सामाजिक संरचना में उसके विस्तार का प्रमाण है। चुनाव के अंतिम सातवें चरण में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 3 दिनों तक जमे रहे और इसका असर उस चरण के पूरे परिणामों पर दिख रहा है। इसे चुनावी राजनीति में मोदी मैजिक के बरकरार रहने के रूप में देखें तो ज्यादा बेहतर है। बेशक नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक बार फिर से ‘मोदी मैजिक’ का असर देखने को मिला। भाजपा ने इस जिले की सभी 8 सीटों के अलावा चंदौली की 4 में से तीन सीटों पर कब्जा बरकरार रखने में कामयाब रही। हालांकि इसी मंडल के गाजीपुर और जौनपुर में सपा भी अपना पुराना गढ़ वापस पाने में लगभग कामयाब हुई है। इसका असर मिर्जापुर मंडल के तीनों जिलों की सीटों पर भी देखने को मिला है। 2017 के चुनाव में भाजपा ने वाराणसी, मिर्जापुर व प्रयागराज मंडल की कुल सीटों में से 54 सीटें जीती थी। इस बार भी 40 सीटें जीतने में कामयाब हुई है।
जिले के तीनों मंत्री जीते
वोटिंग के पहले पीएम मोदी की मौजूदगी के बाद यह माना जाने लगा था काशी में भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा और हुआ भी यही। पार्टी जिले की सभी सीटों पर जीत दर्ज करने में भाजपा जहां कामयाब रही है, वहीं जिले के तीनों मंत्री रवीन्द्र जायसवाल, नीलकंठ तिवारी और अनिल राजभर अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। अलबत्ता पार्टी को सबसे बढ़ा झटका गाजीपुर में जरूर लगा है। यहां की सभी 7 सीटों पर सपा गठबंधन ने जीत दर्ज करके अपने पुराने गढ़ को वापस पाने में कामयाबी हासिल की है।
वाराणसी मंडल की 15 सीटों पर जीत
वाराणसी मंडल की कुल 28 सीटों में से भाजपा गठबंधन इस बार 15 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि 2017 में भाजपा इस मंडल को 21 सीटों पर जीत मिली थी। जौनपुर में भी भाजपा को पिछली बार के मुकाबले एक सीट कम मिली है। भाजपा इस बार 9 में चार सीट पर ही जीत पाई है। हालांकि जिले से मंत्री गिरीश यादव अपनी सीट बचा लिए हैं। चंदौली की चार सीटों में भाजपा ने 3 सीट जीतकर 2017 की उपलब्धि को दोहराया है।