Failed in Msc 23 times in 25 years, graduated in the 24th time! Barua of Jabalpur portrayed “a lofty picture of a lofty India…, national top news : गर इरादे हों बुलंद, तो फिर क्यों न हासिल हों मुकाम ! आज हम आपको जबलपुर के रहने वाले बरुआ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी लगभग आधी जिन्दगी MSc की डिग्री हासिल करने में गंवा दी। लेकिन, हौसला देखिए, हिम्मत नहीं हारी। इस दौरान लोगों ने बरुआ को खूब ताने मारे, लेकिन वह केवल अपने लक्ष्य की ओर भागते रहे। धैर्य के साथ मेहनत करते रहे। नतीजा देखिए, लगातार 23 बार फेल होने के बाद 56 की उम्र में बरुआ ने आखिरकार परीक्षा पास कर ली।
गर्व से कहते हैं…”मेरे पास MSc की डिग्री है
बरुआ को सपने को पूरा करने में भले ही 25 वर्ष लग गये, लेकिन वह आज बड़े गर्व से कहते हैं…”मेरे पास MSc (Maths) की डिग्री है। एक रिपोर्ट में बरुआ ने कहा कि 2021 में जब उन्होंने एमएससी की परीक्षा पास की, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। आलम यह था कि बंद कमरे में ही वह खुशी से झूम उठे और खुद को ही शाबाशी भी दे दी। बरुआ ने रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी से गणित से एमएससी करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था।
सपने पर किया फोकस : बरुआ
1997 में वह पहली बार एमएससी की परीक्षा में बैठे और फेल हो गये। अगले 10 साल तक पांच विषयों में से केवल एक ही सब्जेक्ट में पास हो सके, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उन्होंने कहा, ‘मैंने इस बात की कभी परवाह नहीं की, कि लोग क्या सोचते हैं। सिर्फ अपने सपने को पूरा करने पर फोकस किया।” आखिरकार 2020 में बरुआ ने फर्स्ट ईयर की परीक्षा पास की। अगले ही साल यानी 2021 में सेकेंड ईयर भी क्लियर कर लिया।
संघर्ष भरा है जीवन
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो बरुआ पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी भी करते थे। उन्होंने जीवनयापन के लिए दूसरों के घरों में बतौर नौकर भी काम किया है। इसके अलावा डबल शिफ्ट में सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी की है। जिसके लिए उन्हें हर महीने 05 हजार रुपये मिलते थे। इस दौरान कई विषम परिस्तिथियां भी आयीं, लेकिन बरुआ ने हार नहीं मानी।
ऐसे पूरा किया था ग्रेजुएशन
उन्होंने 1993 में ग्रेजुएशन पूरा किया था। इसे पूरा करने की कहानी भी कम प्रेरणादायक नहीं है। उन्होंने पुरानी किताबें खरीद कर शिक्षा प्राप्त की है। अधिकांश किताबें रद्दी वालों से खरीदी थी। इसके बाद मास्टर्स की डिग्री हासिल करने में जुट गये। लेकिन, उन्हें अंदाजा नहीं था कि इसे पूरा करने में उनका आधा जीवन बीत जायेगा।