A governor is against Agnipath scheme. आमतौर पर हमारे देश में किसी राज्य के गवर्नर सियासी या सरकार की योजनाओं के संबंध में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं बोलते हैं। वैसे केंद्र और राज्य में अलग-अलग दलों की सरकार होने पर राज्य में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच रिश्तों की बुनियाद अब दरक रही है। बात इससे है और इसका संबंध मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें गवर्नर बनाया। वर्तमान स्थिति यह है कि मलिक मोदी की कई नीतियों का जमकर विरोध करते हैं। इन नीतियों में हाल में देश की आर्मी में भर्ती संबंधी अग्निपथ स्कीम भी शामिल हो गई है। पहली बार देश के किसी राज्यपाल ने इस योजना के खिलाफ कठोर आवाज उठाई है। सत्यपाल मलिक ने 26 जून को कहा कि सरकार को इस योजना पर पुनर्विचार करना चाहिए। इसे वापस लेना चाहिए। मलिक ने कहा कि छह महीने तक जवान ट्रेनिग लेगा, छह महीने की छुट्टी और तीन साल की नौकरी करने के बाद जब वह घर लौट आएगा तो उसकी शादी भी नहीं होगी।
यह योजना जवानों के खिलाफ
यूपी में बागपत के खेकड़ा में शिक्षक नेता गजे सिंह धामा की मौत के बाद उनके आवास पर मलिक शोक संवेदना प्रकट करने पहुंचे थे। बाद में मीडिया से बातचीत में राज्यपाल मलिक ने कहा कि अग्निपथ योजना जवानों के खिलाफ है, यह उनकी उम्मीदों के साथ धोखा है। गौरतलब है कि इससे पहले उन्होंने किसानों की बात रखी थी और अब जवानों की बात रख रहे हैं।
भविष्य की योजना के बारे में जो कहा
भविष्य की योजना के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मेरा इरादा राजनीति करने और चुनाव लड़ने का नहीं है। किसानों और जवानों के लिए जहां जरूरत होगी संघर्ष करूंगा। मलिक ने कहा कि वह कश्मीर पर किताब भी लिखेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या रिटायरमेंट होने के बाद केंद्री सरकार के खिलाफ खुलकर आंदोलन की अगुवाई करेंगे। मलिक ने कहा कि बात सरकार के विरोध की नहीं है, मैं जो मुद्दा उठा रहा हूं, वह अगर मान लिया जाए तो वह सरकार के पक्ष की ही बात होगी।