कुछ देशों में सरकारें राजनीतिक दलों को फंड देती हैं, भारत में नहीं है ऐसी व्यवस्था
Gadkari spoke on electoral bonds, said – political parties need money to run their business, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : चुनावी बॉन्ड को लेकर भारत की सबसे बड़ी अदालत अपनी नाराजगी जता चुकी है और उसने इसको लेकर कई बार एसबीआई का फटकार भी लगायी और उनसे इसका पूरे लेने देने का ब्योरा मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया है। अब चुनावी बॉन्ड को लेकर भाजपा के कद्दावर नेता और केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि बिना पैसे के राजनीतिक पार्टी चलाना सम्भव नहीं है। चुनावी बॉन्ड योजना लाने के पीछे हमारी मंशा अच्छी थी।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने बयान में कहा कि हमने राजनीतिक दलों को वित्तीय तौर पर मजबूत रखना चाहा। चुनावी बांड शुरू करने के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य यह था कि राजनीतिक दलों को सीधे पैसा मिले, लेकिन इसमें दाताओं के नाम का खुलासा नहीं किया जाता है, क्योंकि इससे सत्ता में रहनेवाली पार्टी बदलती है, तो समस्याएं उत्पन्न होती हैं। नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपना कामकाज चलाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि बिना पैसे के राजनीतिक पार्टी चलाना नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2017 में अच्छे इरादे के साथ चुनावी बॉन्ड योजना शुरू की थी, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दे दिया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर कोई और निर्देश देता है, तो सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठ कर विचार-विमर्श करना चाहिए। उन्होंने गडकरी ने गांधीनगर में एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जब अरुण जेटली केन्द्रीय वित्त मंत्री थे, मैं उस समय चुनावी बॉन्ड के सम्बन्ध में हुई बातचीत का हिस्सा था। कोई भी पार्टी संसाधनों के बिना नहीं चल सकती। कुछ देशों में सरकारें राजनीतिक दलों को फंड देती हैं। भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।