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Got justice : दो अनाथ नाबालिग बहनों को मिली बाल विवाह से आजादी और मुआवजा

Got justice : दो अनाथ नाबालिग बहनों को मिली बाल विवाह से आजादी और मुआवजा

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Two orphan minor sisters got freedom and compensation from child marriage, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए), उदयपुर ने 12 और 14 वर्ष की उम्र में ब्याही गयीं बाल विवाह की पीड़ित दो नाबालिग बच्चियों को ढाई लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश जारी किया है। बाल विवाह से मुक्ति पाने के लिए संघर्ष कर रहीं इन दोनों अनाथ बहनों राधा और मीना (बदला हुआ नाम) के लिए मुआवजे की यह राशि बहुत बड़ी राहत है। दोनों बहनों ने अपने बाल विवाह को रद्द करने के लिए सितम्बर 2023 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

दोनों गहन शोक और पीड़ा से गुजर रही थीं

गैरसरकारी संगठन गायत्री सेवा संस्थान (जीएसएस) के निदेशक शैलेंद्र पंड्या ने बताया कि जब उन्होंने दोनों बहनों से मुलाकात की, तो वे गहन शोक और पीड़ा से गुजर रही थीं। ऐसे में हमारी पहली प्राथमिकता बच्चियों का मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की थी। उनके पास ऐसा कुछ नहीं था, जिसे वे घर कह सकें। इसलिए पहला काम उन्हें सुरक्षित आश्रय उपलब्ध कराने का था और इसका बीड़ा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय ने उठाया। दोनों बहनें अब छात्रावास में रहते हुए पढ़ाई कर रही हैं। भयानक यंत्रणा से गुजरने के बावजूद दोनों बहनें अपने शोषकों को माफ करने के लिए तैयार नहीं थीं। वे अपना विवाह रद्द कराना चाहती थीं और इसके लिए जीएसएस की मदद से पिछले वर्ष सितम्बर में अदालत में मामला दायर किया गया। कानूनी लड़ाई के बाद अब जाकर इन दोनों बहनों को न्याय मिला जब डीएलएसए ने उन्हें सवा लाख-सवा लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा

पंड्या ने आगे कहा कि राजस्थान के कुछ हिस्सों में बाल विवाह की दर राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है और खास तौर से अक्षय तृतीया के मौके पर यहां बड़ी संख्या में बच्चों के विवाह की प्रथा है। हालांकि, इस वर्ष सरकार और नागरिक संगठन पूरी तरह चौकस हैं, ताकि अब कोई राधा और मीना जैसी बच्चियों से उनका बचपन छीनने का अपराध नहीं कर सके। दोनों बच्चियों को अदालत में न्याय मिलने को बड़ी जीत बताते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के संयोजक रवि कांत ने कहा कि दुख की बात है कि हमारे देश में बाल विवाह की अभी भी एक तरह से सामाजिक स्वीकार्यता है। हालांकि, हमारे गठबंधन के अभियान की वजह से लोग जागरूक हो रहे हैं और यह स्वीकार्यता धीरे-धीरे खत्म हो रही है। हमारे सभी 161 सहयोगी संगठन एक अभूतपूर्व, एकता, निश्चय और ऊर्जा के साथ बाल विवाह की सामाजिक बुराई के खिलाफ लड़ रहे हैं।

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