Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

GUJARAT : अहमद पटेल के पुत्र फैजल के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की अटकलें

GUJARAT : अहमद पटेल के पुत्र फैजल के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की अटकलें

Share this:

कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले स्वर्गीय अहमद पटेल के पुत्र फैजल पटेल ने भी कांग्रेस छोड़ने के संकेत दिए हैं। फैजल ने अपने पोस्ट में लिखा है कि इंतजार करते- करते अब थक गया हूं। मुझे आलाकमान से कोई प्रोत्साहन नहीं मिला है। मैं अपने विकल्प खुले रख रहा हूं। मौजूदा हालात में उनका ये रवैया कांग्रेस नेतृत्व के लिए एक तरह से झटका माना जा रहा है, क्योंकि हाल ही में जिस तरह से कई नेताओं ने कांग्रेस छोड़ी और कई ने पार्टी नेतृत्व के विरोध में बिगुल फूंका उसमें फैजल का कदम परिस्थितियों को और खराब ही करेगा।

पिछले एक साल से लग रही अटकलें

वैसे फैजल के आप में शामिल होने की अटकलें गत वर्ष से ही लगाई जा रही थीं। अप्रैल 2021 में फैजल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी। उन्होंने मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर कर लिखा था कि लंबे समय की इच्छा पूरी हुई। वह दिल्ली में रहते हैं और केजरीवाल के कामकाज से वह बेहद प्रभावित हैं। वैसे फैजल फिलहाल भरूच और नर्मदा जिलों की 7 विधानसभा सीटों का सघन दौरा कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमारी टीम राजनीतिक स्थिति का आकलन कर बड़े बदलाव करेगी। उका लक्ष्य सभी 7 सीटें जीतने का है। गुजरात में इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं। कांग्रेस विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी हुई है। ऐसे में फैसल का स्टैंड पार्टी आलाकमान को और ज्यादा संकट में डालने वाला लग रहा है।

नवंबर 2020 में अहमद पटेल का निधन

अहमद पटेल का नवंबर 2020 में उनका निधन हो गया था। राजनीति के मझे खिलाड़ी रहे अहमद पटेल को सोनिया गांधी का राजनीतिक संकटमोचक माना जाता था। जब भी कांग्रेस पार्टी या खुद सोनिया गांधी किसी राजनीतिक संकट में होती थीं, अहमद पटेल पर्दे के पीछे से ही पार्टी को मुश्किल हालातों से उबार लाते थे। अहमद पटेल तीन बार लोकसभा सांसद चुने गए थे, इसके अलावा वो 5 बार राज्यसभा के सांसद चुने गए थे। अहमद पटेल ने 1977 में 26 साल की उम्र में पहली बार भरूच से लोकसभा चुनाव जीता था। वो पर्दे के पीछे की राजनीति में भरोसा करते रहे। उनकी पहुंच तमाम राजनीतिक दलों से लेकर औद्योगिक घरानों तक थी। यूपीए 1 और 2 की सरकार में एक दौर ऐसा भी था जब उनकी मर्जी बगैर पत्ता भी नहीं हिलता था।

Share this: