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क्या आपने कभी सोचा कि ईरान का कनेक्शन भारत के इस गांव से कैसे था, यूपी के इसी गांव ने…

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Have you ever wondered how Iran had a connection with this village in India, this village in UP…, Global News, international news, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news, India and Iran relationship : हाल में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में ईरान के राष्ट्रपति रईसी की मौत से  ईरान को लेकर पूरी दुनिया में तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है। भविष्य के ईरान पर भी लोगों का ध्यान है। इस बीच मीडिया में यह महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है कि भारत के एक गांव से ईरान का कितना गहरा रिश्ता था।  वाकई आज के ईरान का भारत से बहुत बड़ा कनेक्शन है। ईरान में इस्लामिक क्रांति के जनक रुहोल्ला खुमैनी अपने देश में बड़े हो रहे थे, तब उनका मुल्क एक लिबरल देश था।

खुमैनी का झुकाव अध्यात्मिकता की तरफ था

बचपन से खुमैनी का झुकाव अध्यात्मिकता की तरफ था। उनका शिया वर्ग से जुड़ाव था। ये उनके अपने दादा सैय्यद अहमद मुसाबी हिंदी से विरासत में मिला था। यहीं से भारत के ईरान कनेक्शन की शुरुआत होती है। खुमैनी के दादा अहमद का जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के पास हुआ। आगे चलकर वो ईरान गए। बाराबंकी में जन्में हिंदी और उनके शिक्षाओं ने ईरान को आकार देने में बेहद ही अहम भूमिका निभाई। उनके पोते खुमैनी ईरान के पहले सुप्रीम लीडर बने और इसे एक धार्मिक मुल्क में बदल दिया। 

सरनेम के रूप में हिंदी का इस्तेमाल किया

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार मुसाबी ने भारत के साथ अपना जुड़ाव दिखाने के लिए सरनेम के रूप में हिंदी का इस्तेमाल किया। उनके पोते रुहोल्ला खुमैनी को आगे चलकर ईरान क्रांति का जनक कहा गया। उन्होंने पश्चिम एशियाई देश को हमेशा के लिए धर्म तंत्र में बदल दिया। अहमद मुसाबी का जन्म 1830 में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी  से ईरान गए थे। ये वो वक्त था जब ब्रिटिश हूकूमत मुगलों को हराकर भारत पर नियंत्रण हासिल कर रही थी। अहमद हिंदी उन मौलवियों में से थे जो इस्लामी पुनरुत्थान के विचार में विश्वास रखते थे। उनका मानना था कि मुसलमानों को समाज में अपना स्थान फिर से हासिल करना चाहिए।

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