यह कहानी हिमाचल प्रदेश के ऊना के छोटे से गांव ठठ्ठल की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री का है,जिन्होंने अपने घरवालों को बिना बोले बताए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और पहले प्रयास में ही आईपीएस अफसर बन गईं। आज अपने काम से शालिनी ने ऐसी पहचान बनायई है कि अपराधी उनके नाम से थर्र-थर्र कांपते हैं। यही नहीं उनकी काबलियत के कारण उन्हें प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठित बेटन और गृहमंत्री की रिवॉल्वर भी दी गयी है। और तो और ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बेस्ट ट्रेनी का अवॉर्ड जीता और राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत हुईं। कुल्लू में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने नशे के काराबारियों के खिलाफ ऐसी मुहिम चलाई की रातों-रात चर्चा में आ गईं। आज अपराधी उनके नाम से ही घबराते हैं।
इस प्रकार आया पुलिस में जाने का विचार
बचपन में एक बार शालिनी अपनी मां के साथ उसी बस में सफर कर रही थी, जिसमें उनके पिता कंडक्टर थे। एक व्यक्ति ने उनकी मां की सीट के पीछे हाथ लगाया हुआ था, जिससे वे बैठ नहीं पा रही थी। उन्होंने उस व्यक्ति से कई बार कहा पर उसने हाथ नहीं हटाया बल्कि पलटकर बोला तुम कहां कि डीसी हो जो तुम्हारी बात मानें? शालिनी के मन में उसी समय आया कि डीसी क्या होता है और अगर वे डीसी होती तो क्या वह व्यक्ति उनकी बात मान लेता। यह तो थी बचपन की घटना पर शालिनी ने वहां से आकर सब पता किया कि पुलिस में डीसी क्या होता है, उसके क्या अधिकार होते हैं, वो क्या-क्या कर सकता है। बस यहीं से शालिनी के बाल मन ने तय किया कि वे भी बड़ी होकर पुलिस की बड़ी अफसर बनेंगी।
10वीं में 92% और 12 में आए 77% नंबर
शालिनी अग्निहोत्री ने बताया, ‘मुझे 10वीं की परीक्षा में 92 प्रतिशत से ज्यादा नंबर मिले थे, लेकिन 12वीं में सिर्फ 77 प्रतिशत नंबर ही आए। इसके बावजूद मेरे पैरेंट्स ने मुझपर भरोसा जताया और मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। शालिनी अग्निहोत्री ने धर्मशाला के डीएवी स्कूल से 12वीं करने के बाद पालमपुर स्थित हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कृषि में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। शालिनी ने ग्रेजुएशन के साथ ही यूपीएससी की भी तैयारी शुरू कर दी थी। घर में किसी को नहीं बताया यूपीएससी के बारे में जहां यूपीएससी के कैंडिडेट्स इतना ज्यादा सपोर्ट की जरूरत महसूस करते हैं कि उनके मां-बाप या परिवार कदम-कदम पर संबल बनकर खड़े रहते हैं, वहीं शालिनी अलग थी।
उन्होंने अपने घर में किसी को इस परीक्षा की तैयारी के विषय में नहीं बताया। शालिनी को लगता था कि इतनी कठिन परीक्षा है कि अगर पास नहीं हुयी तो कहीं घरवाले निराश न हों।
बिना कोचिंग किए पास की परीक्षा
कॉलेज के बाद शालिनी यूपीएससी की तैयारी करती थी। न कोचिंग ली उन्होंने, न ही किसी बड़े शहर का रुख किया। उनके यूनिवर्सिटी हॉस्टल में एक अजब सा सुकून और शांति रहती थी। शालिनी को पढ़ायी के लिये ये माहौल श्रेष्ठ लगता था, जिसका उन्होंने पूरा फायदा उठाया। शालिनी ने मई 2011 में परीक्षा दी और 2012 में साक्षात्कार का परिणाम भी आ गया। शालिनी ने 285वीं रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। जैसा कि वे हमेशा से चाहती थी उन्होंने इंडियन पुलिस सर्विस चुनी और आगे चलकर एक सख्त पुलिस ऑफिसर साबित हुयीं।
शालिनी की बड़ी बहन डॉक्टर हैं
शालिनी अग्निहोत्री के पिता रमेश अग्निहोत्री बस कंडक्टर थे, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शालिनी की बड़ी बहन डॉक्टर हैं और भाई एनडीए पास करके आर्मी में हैं। तीनों भाई-बहनों ने मां-बाप का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शालिनी अग्निहोत्री की पहली पोस्टिंग हिमाचल में हुई और उन्होंने कुल्लू में पुलिस अधीक्षक का पदभार संभाला। इसके बाद उन्होंने नशे के सौदागरों के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया और कई बड़े अपराधियों को जेल पहुंचा दिया। शालिनी अग्निहोत्री की गिनती साहसी और निडर पुलिस वालों में होती है।