New Delhi top news, technology, DRDO, Bengaluru news, national news : रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सिंगल बूस्टर का उपयोग करके संशोधित मजबूत कॉन्फिगरेशन में विभिन्न मिशन उद्देश्यों के साथ हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट-अभ्यास के चार उड़ान परीक्षण किये हैं। ओडिशा के तट से दूर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर से 30 जनवरी से 02 फरवरी के दौरान किये गये इन परीक्षणों के बारे में डीआरडीओ ने सोमवार को खुलासा किया।
पांच किलोमीटर. की उड़ान, 0.5 मैक की गति के साथ किये गये सभी परीक्षण
डीआरडीओ के अनुसार स्वदेशी रूप से विकसित हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) ‘अभ्यास’ ने उड़ान परीक्षण के दौरान उच्च सहनशक्ति के साथ बहुत कम ऊंचाई पर एक उच्च सबसोनिक गति प्रक्षेपवक्र का प्रदर्शन किया। चार दिनों के परीक्षण पांच किमी. की उड़ान, 0.5 मैक की वाहन गति और 2जी टर्न क्षमता की उपयोगकर्ता की जरूरत को देखते हुए किये गये हैं। स्वदेशी डेटा लिंक को सफलतापूर्वक उड़ाकर परीक्षण किया गया। पूरी उड़ान अवधि के दौरान सिस्टम के प्रदर्शन की पुष्टि विभिन्न रेंज के उपकरणों ने कैप्चर किये गये डेटा से की।
डीआरडीओ ने मजबूत कॉन्फिगरेशन में सिंगल बूस्टर का किया उपयोग
डीआरडीओ ने कहा कि लॉन्च के दौरान सिंगल बूस्टर और एक छोटे टबोर्जेट इंजन का उपयोग किया गया। इसका उपयोग उच्च सबसोनिक गति को लम्बे समय तक बनाए रखने के लिए किया जाता है। अभ्यास एक ड्रोन है, जिसे विभिन्न मिसाइल प्रणालियों के मूल्यांकन के लिए एक लक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पहली स्वदेशी प्रणाली है, जिसमें मार्गदर्शन और नियंत्रण के लिए उड़ान नियंत्रण कंप्यूटर के साथ नेविगेशन के लिए इनर ट्रियल नेविगेशन सिस्टम है। एयर व्हीकल की जांच लैपटॉप आधारित ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन का उपयोग करके की जाती है।
बेंगलुरु स्थित डीआरडीओ की प्रयोगशाला वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) ने अन्य प्रयोगशालाओं के साथ भारतीय सशस्त्र बलों के हवाई लक्ष्यों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इस स्वदेशी मानव रहित हवाई लक्ष्य प्रणाली को विकसित किया है। इसमें लगी स्वदेशी एमईएमएस-आधारित जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली पूरी तरह से स्वायत्त मोड में पूर्व-निर्धारित पथ का अनुसरण करने में मदद करती है। इससे पहले डीआरडीओ ने 23 दिसम्बर, 2021 और 22 सितम्बर, 2020 को हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) ‘अभ्यास’ के सफल उड़ान परीक्षण ओडिशा के बालासोर तट से किये थे।