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Indian railway news : ट्रेन में सामान चोरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले का फैसला पलटा, अब…

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Indian Railway, national news,If your luggage is stolen in the train,The Supreme Court set aside that order of the Consumer Commission : यदि आप ट्रेन में यात्रा करते हैं तो इस बात पर जरूर ध्यान दें कि आपके सामान की जिम्मेदारी आप पर है। एक अदालती फैसले ने इस बात को और विशेष बना दिया है कि आप खुद अपने सामान की जिम्मेदार हैं। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता आयोग के आदेश को रद्द कर दिया है। इसमें रेल यात्री को 2005 में हुई चोरी के बाद एक लाख रुपये की राशि देने का निर्देश था।

सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी यात्रियों की

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अगर यात्री स्वयं अपने सामान की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं हैं, तो रेलवे को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। रेलवे के वकील ने सुनवाई के दौरान पीठ को सूचित किया कि इस मामले में यात्री ने नकदी को लेकर कुछ शिकायत की है। उनके कमर में बंधी बेल्ट में एक लाख रुपये नकद थे और ट्रेन यात्रा के दौरान उनसे नकदी चोरी हो गई। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि रेलवे द्वारा प्रदान की गई सेवा में कोई कमी नहीं है। यह यात्री की व्यक्तिगत नकल एजेंसी के कारण उसका पैसा चोरी हुआ।

जानें क्या है पूरा मामला ?

साल 2005 में एक कपड़ा व्यापारी सुरेंद्र भोला ने रेल यात्रा के दौरान एक लाख रुपए चोरी की घटना का सामना किया। उस रेलयात्री का ट्रेन में यात्रा करने के दौरान पैसा चोरी हो गया। भोला दिल्ली जा रहे थे अपने व्यापार के लिए। इसके लिए उन्होंने काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस ट्रेन का कन्फर्म टिकट खरीदा था। जब उन्हें पता चला कि उनका पैसा चोरी हो गया है, तो वे दिल्ली में एक एफआईआर दर्ज करवाएं और बाद में चोरी के मुआवजे के लिए उपभोक्ता अदालत में शिकायत की।

बुक किए गए पार्सल के लिए रेलवे जिम्मेदार

भारतीय रेलवे ने मामले की सुनवाई के दौरान खुद के बचाव के लिए एक अपने वकील के माध्यम से अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से यह कहा गया है कि रेलवे सिर्फ उपभोक्ता फोरम के साथ जिम्मेदार होगा। जब यात्रियों द्वारा बुक किए गए पार्सलों की बात हो। लेकिन यात्रियों के निजी सामान के लिए नहीं। इसके बावजूद, 2015 में रेलवे द्वारा जिला और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में दायर की गई अपील को खारिज कर दिया गया और यहां यात्रियों के नुकसान की मुआवजा की जाने की दिशा में निर्देश दिया गया था। इसके बाद, रेलवे ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे की ओर दौड़ लगाई थी।

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