India’s Smart Diplomacy: The world was surprised by the statement of Modi’s special minister, said thi, Global News, international news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विश्व मंच पर एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि भारत की भारत सरकार रूब से तेल खरीदती रहेगी। जर्मनी के म्यूनिख सम्मेलन में एस जयशंकर ने बिना लाख लपेट के कहा कि भारत के पास तेल खरीदने के और कई स्रोत है और रूस उनमें से एक है। जयशंकर ने कहा कि हम स्मार्ट हैं और हमारे पास कहीं विकल्प मौजूद हैं आपको तो हमारी तारीफ करनी चाहिए। जयशंकर के इसमें स्मार्ट बयान की चर्चा अब सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है। कूटनीति में ऐसे बयानों से यह साफ है कि भारत और रूस में दशकों पुरानी दोस्ती है। यह आगे भी इसी तरह से जारी रहेगी।
अपने समकक्षों से मुलाकात पर जयशंकर क्या बोले
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस विदेश दौरे में सऊदी अरब, नॉर्वे, पुर्तगाल, पोलैंड और बेल्जियम के अपने समकक्षों से मुलाकात की। इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों और पश्चिम एशिया की स्थिति एवंबहुपक्षवाद जैसे वैश्विक मामलों पर विस्तृत चर्चा की। बता दें कि जयशंकर प्रतिष्ठित म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए इन दिनों जर्मनी में हैं। म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा के लिए अग्रणी मंच है। उन्होंने सम्मेलन से हटकर सऊदी अरब के अपने समकक्ष फैसल बिन फरहान अल-सऊद संग सार्थक बातचीत की। जयशंकर ने शनिवार को एक्स पर पोस्ट किया, संपर्क बढ़ाने, पश्चिम एशिया की स्थिति और हमारी रणनीतिक साझेदारी पर विशेष रूप से चर्चा हुई। उन्होंने नॉर्वे के अपने समकक्ष एस्पेन बार्थ ईड संग व्यापक संदर्भ वाली बातचीत” की और सुधरे हुए बहुपक्षवाद और अधिक न्यायसंगत विश्व व्यवस्था की अनिवार्यता के बारे में खुलकर अपनी बात रखी।
भारत की सधी हुई कूटनीति
पश्चिमी देश अक्सर रूस को लेकर भारत के स्टैंड को टारगेट करने की हमेशा कोशिश करते हैं। लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया के इस अग्रणी मंच पर स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी कूटनीतिक स्वतंत्रता को बनाये रखेगा। यानी कहने का मतलब यह है कि भारत हरेक देश से अलग-अलग और बराबरी का संबंध रखेगा। भारत किसी गुटबाजी का असर अपने संबंधों पर नहीं पड़ने देगा। भारत की स्मार्ट कूटनीति को आप ऐसे समझ सकते हैं। अमेरिका और दोनों से भारत के नजदीकी संबंध हैं। दोनों देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा दुनिया के किसी देश के साथ दोनों महाशक्तियों की ऐसी दोस्ती नहीं है। भारत के सेवा के हथियारों में भी ऐसे स्मार्टफोन नीति की झलक साफ दिखती है। भारत ने रूस से सुखोई लड़ाकू विमान और एस 400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा है तो अमेरिका से चिनूक अपाचे हेलीकॉप्टरों के अलावा कई और हथियार भी आयात किये हैं।