छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के बड़े नेता और मंत्री टीएस सिंहदेव ने शनिवार को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि अपने प्रभार वाले बाकी विभागों में वह कैबिनेट मंत्री के रूप में बने रहेंगे। अभी उनके त्यागपत्र देने का कारण मालूम नहीं चल पाया है। सिंह देव ने अपने अपनी स्थिति की स्वयं पुष्टि कर दी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह की चीजें वर्तमान में चल रही थीं, यह तो एक दिन होना ही था। उन्होंने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा भेज दिया है। टीएस सिंह के इस कदम से लगता है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। आलाकमान को बुद्धिमता के साथ इस मसले को सुलझाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस पार्टी की सेहत पर छत्तीसगढ़ में बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
कई कारणों से नाराज चल रहे थे टीएस सिंहदेव
गौरतलब है कि सिंहदेव अपने विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली से बहुत नाराज चल रहे थे। उनकी जानकारी के बिना ही कई बड़े फैसले लिए गया थे। हाईकमान के ढाई-ढाई साल वाले फार्मूले के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का वादा पूरा नहीं किया गया। बीते दिनों बड़ी संख्या में मनरेगा के सहायक परियोजना अधिकारियों पर कार्रवाई की गई थी। इससे सिंह देव बहुत नाराज चल रहे थे। समझा जा रहा है कि इन्हीं सब कारणों से उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा है। सिंहदेव के इस्तीफे को लेकर राजनीतिक हलकों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। सिंहदेव ने केवल पंचायत विभाग से इस्तीफा दिया है। वे अभी स्वास्थ्य मंत्री के पद पर बने रहेंगे।
अपने विधानसभा क्षेत्र से ही भेज दिया इस्तीफा
बता दें कि टीएस सिंहदेव ने अपना इस्तीफा अपने विधानसभा अंबिकापुर से ही भेजा है। पिछले विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस की जीत के अहम किरदार रहे थे। 17 दिसम्बर, 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही मंत्री पद की शपथ ली थी। उस दिन मुख्यमंत्री ने केवल दो मंत्रियों टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के साथ कैबिनेट का गठन कर सरकार बनाई गई थी। किसानों की कर्जमाफी और 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का ऐतिहासिक फैसला भी इन्हीं तीन लोगों ने मिलकर किया था।