होम

वीडियो

वेब स्टोरी

पोखरण फायरिंग रेंज में सुखोई-30 से गिरी थी इजराइली बैलिस्टिक मिसाइल रैम्पेज

1000591872

Share this:

Breaking news, National top news, national news, national update, national news, New Delhi top news : राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज के पास 21 अगस्त को अनजाने में ‘एयर स्टोर’ के रिसाव की घटना में इजराइली एयर लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल रैम्पेज भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 से गिरी थी। हालांकि, घटना की जांच के लिए वायु सेना ने आदेश दिये हैं, जिसमें संभवत: उस तकनीकी खराबी की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा, जिसके कारण मिसाइल दुर्घटनाग्रस्त हुई। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रोटोकॉल का आकलन भी किया जायेगा।

लड़ाकू विमान से ‘एयर स्टोर’ का अनजाने में रिसाव

वायु सेना ने पोखरण फायरिंग रेंज के पास इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा था कि तकनीकी खराबी के कारण एक लड़ाकू विमान से ‘एयर स्टोर’ का अनजाने में रिसाव हो गया। इस घटना की जांच के लिए आदेश देते हुए वायु सेना ने यह भी कहा था कि इस घटना में जान-माल के किसी नुकसान की खबर नहीं है। वायु सेना की ओर से जांच शुरू करने का त्वरित निर्णय इस घटना की गंभीरता को दशार्ता है। इस घटना की जांच भी शुरू हो गयी है, क्योंकि इस तरह के शक्तिशाली हथियार के अनजाने में छोड़े जाने से इन उन्नत हथियारों की विश्वसनीयता और सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में चिन्ताएं पैदा हो गयी हैं। 

दुर्घटनाग्रस्त हुई रैम्पेज एयर लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल थी

हालांकि, वायु सेना की जांच के बारे में आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दी गयी है, लेकिन रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दुर्घटनाग्रस्त हुई रैम्पेज एयर लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल थी, जो फ्रंटलाइन मल्टी-रोल फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई में ‘एयर स्टोर’ का हिस्सा थी। यह इजराइल में विकसित अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है। रैम्पेज मिसाइल को उच्च लक्ष्यों पर सटीकता से हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। बैलिस्टिक और अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइलों को आम तौर पर उनकी उड़ान गतिशीलता और उनके प्रक्षेपवक्र के दौरान अन्य प्रकार के निर्देशित हथियारों की तुलना में कम विश्वसनीय माना जाता है।

भारत ने अपनी मारक क्षमताओं को बढ़ाने के मकसद से इजराइली रैम्पेज मिसाइलों को खरीदा था

भारत ने 2020 में चीन के साथ गतिरोध के दौरान अपनी मारक क्षमताओं को बढ़ाने के मकसद से इजराइली रैम्पेज मिसाइलों को खरीदा था। रैम्पेज को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उत्पन्न तत्काल परिचालन आवश्यकताओं के समाधान के रूप में देखा गया था।वायु सेना ने इसी साल अप्रैल में अपने रूसी लड़ाकू विमान बेड़े सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29 और जगुआर लड़ाकू विमानों को लम्बी दूरी की रैम्पेज सुपरसोनिक एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों को शामिल करके मजबूत किया है, जो 250 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम हैं। इस मिसाइल का इस्तेमाल इजराइली वायु सेना ने ईरानी लक्ष्यों के खिलाफ हाल के अभियानों में बड़े पैमाने पर किया था।

वायु सेना ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रैम्पेज मिसाइलों के उत्पादन की सम्भावना पर भी विचार कर रही

वायु सेना ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत रैम्पेज मिसाइलों के उत्पादन की सम्भावना पर भी विचार कर रही है, इसलिए जांच में संभवत: उस तकनीकी खराबी की पहचान करने पर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा, जिसके कारण मिसाइल अचानक दुर्घटनाग्रस्त हुई। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रोटोकॉल का आकलन किया जायेगा। यह घटना परीक्षण और रखरखाव प्रक्रियाओं की खामियों को भी दर्शाती है ; खासकर जब रैम्पेज मिसाइल जैसे जटिल और परिष्कृत हथियारों से निपटना हो। हालांकि, जांच के नतीजों में रैम्पेज मिसाइलों की विश्वसनीयता पर फोकस होगा। घटना की गहन जांच करने के लिए भारतीय वायु सेना की प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण होगी कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न्यूनतम हों।

Share this:




Related Updates


Latest Updates