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Jolt : बैंकों ने यकायक दे दिया जोर का झटका धीरे से और हम रहे बेखबर…

Jolt : बैंकों ने यकायक दे दिया जोर का झटका धीरे से और हम रहे बेखबर…

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National News Update, New Delhi, Loan Interest Rate Increased By Many Banks, Now More EMI : चुपचाप देश के कई बैंकों ने ग्राहकों को बड़ा झटका दे दिया और ग्राहकों को इसकी जानकारी बहुत कम मिली। रिपोर्ट बताती है कि बैंकों ने अपने लोन की दरों में बढ़ोतरी की है। पंजाब नेशनल बैंक, ICICI Bank और बैंक ऑफ इंडिया ने होम लोन समेत सभी तरह के कर्ज को महंगा कर दिया है। इस बढ़ोतरी के बाद लोगों की EMI बढ़ जाएगी। इन तीनों बैंकों ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में  इजाफा किया है। बता दें होम लोन और ऑटो लोन समेत ज्यादातर कंज्यूमर लोन इसी MCLR से जुड़े होते हैं। बैंकों वेबसाइटों के अनुसार, नई ब्याज दरें एक अगस्त से प्रभावी हो चुकी हैं।

इस तरह एमसीएलआर में बढ़ोतरी

ICICI Bank ने सभी अवधि के लोन के लिए MCLR में 5 बेसिस प्वाइंट (BPS) का इजाफा किया है। बैंक की वेबसाइट के अनुसार, एक महीने की MCLR दर 8।35 फीसदी बढ़कर 8.40 फीसदी हो गई। तीन महीने और छह महीने के लिए MCLR बढ़कर 8.45 और 8.80 फीसदी पर पहुंच गया है। एक साल के लिए MCLR को 8.85 फीसदी से बढ़ाकर बैंक ने 8.90 फीसदी कर दिया है। 

बैंक ऑफ इंडिया ने भी बढ़ाए MCLR

बैंक ऑफ इंडिया ने चुनिंदा अवधि के कर्ज पर MCLR में इजाफा किया है। बैंक ने ओवरनाइट लोन के लिए MCLR को 7.95 फीसदी और एक महीने के लिए 8.15 फीसदी कर दिया है। तीन महीने और छह महीने के लिए MCLR की दर में क्रमश: 8।30 फीसदी औऱ 8.50 फीसदी रख गई है। बैंक ने एक साल से लिए MCLR को 8.70 फीसदी और तीन साल के लिए 8.90 फीसदी तय किया है।

PNB ने इतना बढ़ा दिया

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने ओवरनाइट MCLR को 8.10 फीसदी कर दिया है। एक महीने के टेन्योर के लिए MCLR को 8.20 फीसदी बैंक ने रखा है। वहीं, तीन, महीने और छह महीने का MCLR अब 8.30 फीसदी और 8.50 फीसदी है। एक साल के लिए MCLR अब 8.60 फीसदी और तीन साल के लिए 8.90 फीसदी है। 

MCLR की जानकारी  

मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट्स या MCLR दरअसल, RBI द्वारा लागू किया गया एक बेंचमार्क होता है, जिसके आधार पर तमाम बैंक लोन के लिए अपनी ब्याज दरें तय करते हैं। जबकि Repo Rate वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। RBI की ओर से रेपो रेट के कम होने से बैंको को कर्ज सस्ता मिलता है और वे MCLR में कटौती कर लोन की EMI घटा देते हैं। वहीं जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो  बैंकों को कर्ज आरबीआई से महंगा मिलता है, जिसके चलते उन्हें MCLR में बढ़ोतरी का फैसला लेना पड़ता है और ग्राहक पर बोझ आता है।

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