Karnataka News : उत्तर प्रदेश (UP) के सशक्त चीफ मिनिस्टर (CM) योगी आदित्यनाथ जी ने राज्य के सभी मदरसों का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। अन्य शिक्षण संस्थानों के सर्वे की जरूरत इस देश में नहीं है, ऐसा योगी जी ही नहीं मोदी जी की भी समझ है। BJP और RSS के अनेक नेता शायद मदरसों को आतंकवाद के पोषण का केंद्र बता चुके हैं। अब अगर कोई सोच है, तो उस सोच के मुताबिक सत्ता तो आगे बढ़ेगी ही। अपडेट खबर यह है कि कर्नाटक सरकार ने भी योगी मॉडल को फॉलो कर आगे बढ़ने का फैसला किया है। कर्नाटक के शिक्षा विभाग द्वारा इस महीने राज्य के सभी मदरसों का सर्वेक्षण करने की संभावना है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से परिचित एक अधिकारी ने बताया कि सर्वे यह सत्यापित करने के लिए कराया जाएगा कि इन संस्थानों में जाने वाले बच्चे शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी तरह का एक आदेश दिया था।
बोम्मई सरकार को चाहिए 960 मदरसों मैं गतिविधियों पर रिपोर्ट
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार ने शिक्षा विभाग को राज्य के सभी 960 मदरसों में गतिविधियों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। मीडिया में चल रही खबर के अनुसार, इस काम से जुड़े अधिकारियों में से एक ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “सर्वेक्षण करने के लिए शिक्षा विभाग के आयुक्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है।” कमेटी अक्टूबर में ही सर्वे का काम शुरू कर देगी। उन्होंने कहा, “रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। जैसे ही निरीक्षण पूरा होगा, हम इसे जमा कर देंगे।”
शिक्षा मंत्री ने 23 अगस्त को ही जारी किया था दिशा-निर्देश
अधिकारियों के अनुसार, शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने 23 अगस्त इसको लेकर एक दिशा-निर्देश जारी किया था। मदरसों में जाने वाले छात्रों को प्रदान की जाने वाली औपचारिक शिक्षा के संबंध में विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया था। सर्वे के दौरान मदरसों में जाने वाले बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा मिल रही है या नहीं इसकी जांच की जाएगी।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि नियम के अनुसार, मदरसों में धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद छात्रों को विज्ञान और गणित की शिक्षा प्राप्त करने के लिए पास के स्कूलों में जाना होगा। ऐसे छात्रों के संबंध में कोई स्पष्ट और सटीक जानकारी नहीं है। उन्होंने अपने कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा, “मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मदरसों में शिक्षा के तरीके के बारे में जानने की जरूरत है।”