New Delhi news : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित नीति आयोग की नौवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक को बीच में ही छोड़ कर बाहर निकल आयीं। उन्होंने बंगाल के लिए फंड मांगने पर उनका माइक बंद करने का आरोप लगाया है। बैठक में राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल, पदेन सदस्य और विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में केन्द्रीय मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्य शामिल हुए।
सिर्फ 05 मिनट बाद ही बोलने से रोक दिया गया
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह बैठक का बहिष्कार करके आयी हैं। चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट दिये गये। असम, गोवा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने 10-12 मिनट तक अपनी बात रखी, लेकिन उनको सिर्फ 05 मिनट बाद ही बोलने से रोक दिया गया। यह अनुचित है। ममता ने कहा, ‘मैं बोल रही थी, मेरा माइक बंद कर दिया गया। मैंने कहा कि आपने मुझे क्यों रोका, आप भेदभाव क्यों कर रहे हैं। मैं बैठक में भाग ले रही हूं, आपको खुश होना चाहिए, इसके बजाय आप अपनी पार्टी और अपनी सरकार को और अधिक गुंजाइश दे रहे हैं। विपक्ष से केवल मैं ही हूं और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं। यह न केवल बंगाल का अपमान है, बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का भी अपमान है।’
बजट को राजनीतिक पक्षपात वाला बताया
उन्होंने कहा, ‘विपक्ष की ओर से सिर्फ मैं ही यहां प्रतिनिधित्व कर रही हूं और इस बैठक में इसलिए शामिल हो रही हूं, क्योंकि सहकारी संघवाद को मजबूत करने में ज्यादा दिलचस्पी है। यहां तक कि बजट भी राजनीतिक पक्षपात वाला है। आप दूसरे राज्यों के साथ भेदभाव क्यों कर रहे हैं। नीति आयोग के पास कोई वित्तीय शक्तियां नहीं हैं, यह कैसे काम करेगा? इसे वित्तीय शक्तियां दें या योजना आयोग को वापस लायें।’ उल्लेखनीय है कि विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक का बहिष्कार करने की घोषणा की थी। इनमें तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और झारखंड के मुख्यमंत्री शामिल हैं।
बैठक बहिष्कार को केसी त्यागी ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
नीति आयोग की बैठक का कांग्रेस व विपक्षी दलों के कई मुख्यमंत्रियों द्वारा बहिष्कार किये जाने को जनता दल (यू) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। शनिवार को यहां मीडिया से बातचीत में केसी त्यागी ने कहा कि नीति आयोग केन्द्र और राज्यों के बीच धन के आवंटन की व्यवस्था को सुनिश्चित करता है। यह राज्यों के अधिकारों की रक्षा करता है। उन्होंने आगे कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि कई मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया है, जो उनके राज्य के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है।
केसी त्यागी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा नीति आयोग का नाम बदल कर योजना आयोग रखे जाने की सलाह को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग व योजना आयोग का काम कमोबेश एक ही है। इसलिए वह ममता बनर्जी की बातों से सहमत नहीं हैं।
केसी त्यागी ने नीति आयोग की बैठक का एमके स्टालिन द्वारा बहिष्कार करने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन के कई सदस्य बिहार व आंध्र प्रदेश को दी गयी राहत के खिलाफ हैं। उन्होंने आगे कहा कि बिहार व आंध्र प्रदेश ; दोनों पिछड़े प्रदेश हैं। इन दोनों प्रदेशों पर निशाना लगाना ठीक नहीं है।
सीतारमण ने ममता के दावे को किया खारिज ; कहा- सभी सीएम को बोलने के लिए उचित समय दिया गया
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के माइक्रोफोन बंद करने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि नीति आयोग की बैठक में प्रत्येक मुख्यमंत्री को बोलने के लिए उचित समय आवंटित किया गया था। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं। हम सभी ने उनकी बात सुनी। प्रत्येक मुख्यमंत्री को आवंटित समय दिया गया था और यह स्क्रीन पर दिखाया गया था, जो हर टेबल के सामने मौजूद थी। हम देख सकते थे कि दो टेबल के सामने स्क्रीन थी। उन्होंने मीडिया में कहा कि उनका माइक बंद था। यह पूरी तरह से झूठ है। हर मुख्यमंत्री को बोलने के लिए उचित समय दिया गया था।
ममता का दावा दुर्भाग्यपूर्ण
सीतारमण ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री इस तरह के दावे कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात से खुश है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बैठक में शामिल हुईं और उन्होंने कहा कि वह विपक्ष यानी आई.एन.डी.आई.ए. ब्लॉक की ओर से बोल रही हैं।
सीतारमण ने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री को आवंटित समय से अधिक का अनुरोध करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने बैठक से बाहर निकलने के लिए इसे एक बहाना बना लिया। वित्त मंत्री ने कहा कि उन्हें (ममता बनर्जी को) झूठ पर आधारित कहानी गढ़ने के बजाय इसके पीछे का सच बोलना चाहिए।
माइक्रोफोन बंद होने के दावे को ‘भ्रामक’ बताया
इससे पहले, केन्द्र सरकार की तथ्य-जांच संस्था ने बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा उनके माइक्रोफोन बंद होने के दावे को ‘भ्रामक’ बताते हुए खारिज कर दिया था। पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के तहत गठित केन्द्र अधिसूचित पीआईबी फैक्ट चैक ने आज तथ्य जांच के आधार पर ममता बनर्जी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केवल घड़ी ही बता रही थी कि उनका बोलने का समय समाप्त हो गया है। पीआईबी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि यह दावा किया जा रहा है कि नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक्रोफोन बंद कर दिया गया था। यह दावा भ्रामक है। घड़ी ही बता रही थी कि उनका बोलने का समय समाप्त हो गया है। यहां तक कि इसे चिह्नित करने के लिए घंटी भी नहीं बजायी गयी।
केन्द्र सरकार ने तमिलनाडु के हितों की उपेक्षा की : एमके स्टालिन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने शनिवार सुबह ‘एक्स’ पर कहा है कि वे नीति आयोग की बैठक में इसलिए हिस्सा नहीं ले रहे हैं, क्योंकि केन्द्र सरकार ने राज्य के हितों की अनदेखी और राज्य के लोगों की उपेक्षा की है। उन्होंने कहा है कि संसद में पेश किया केन्द्रीय बजट भारतीय जनता पार्टी को वोट नहीं देनेवाले राज्यों के प्रति प्रतिशोध की कार्रवाई की तरह है। इंडी गठबंधन को वोट देनेवालों से बदला लेने के लिए बजट तैयार किया है।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में ऐसा नहीं होता कि जो आपको वोट दे, उसी का काम किया जाना चाहिए। राज्य में सभी का काम एक समान होता है, यही सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन, केन्द्र सरकार ने बजट में सिर्फ बिहार और आंध्र प्रदेश को बहुत कुछ दिया है, क्योंकि उनके सहारे सरकार चल रही है। इसी तरह भाजपा शासित प्रदेशों को भी बजट में अच्छा हिस्सा मिला है, लेकिन तमिलनाडु में दो प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद मांग से काफी कम बजट आवंटित किया गया है। इसलिए डीएमके सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी। उधर, द्रमुक के सांसद और नेता बजट में तमिलनाडु की अनदेखी करने के विरोध में राज्य में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।