New Delhi news : ईद-उल-अजहा पर भारतीय मुसलमानों के नाम अपने एक संदेश में जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि इस्लाम में कुर्बानी का कोई विकल्प नहीं है। यह एक धार्मिक कर्तव्य है, जिसका पालन करना हर आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमान के लिए अनिवार्य है। इसलिए हर हाल में इस कर्तव्य को निभाना है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में जरूरी है कि मुसलमान स्वयं सावधानी से काम लें। विशेष रूप से सोशल मीडिया पर कुर्बानी के जानवरों की तस्वीरें आदि शेयर न करें। मौलाना मदनी ने यह भी सुझाव दिया कि मुसलमान कुर्बानी करते समय सरकारी आदेशों का पूरी तरह से पालन करें। प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से बचें। चूंकि, मजहब में इसके बदले काले जानवर की
मुसलमान कुर्बानी करते समय सरकारी आदेशों का पूरी तरह से पालन करें
कुर्बानी जायज है, इसलिए किसी भी उपद्रव से बचने के लिए इसी को उचित समझा जाना बेहतर है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी जगह उपद्रवी काले जानवर की कुर्बानी से भी रोकते हैं, तो समझदार और प्रभावशाली लोग स्थानीय प्रशासन को भरोसे में लेकर कुर्बानी करायें। अगर फिर भी कोई रास्ता न निकले तो जिस निकटतम आबादी में कोई परेशानी न हो, वहां
कुर्बानी के जानवर की कोई तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर न की जाये
कुर्बानी करायी जाये। पारम्परिक जगह पर अगर कोई परेशानी है, तो वहां कम से कम बकरे की कुबार्नी अवश्य की जाए और प्रशासनिक कार्यालय में इसको दर्ज भी करा दिया जाये, ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो। उन्होंने देश के मुसलमानों को ईदुल अजहा पर स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने का सुझाव देते हुए कहा कि जानवरों के अवशेषों को सड़कों, गलियों और नालों में न डालें, बल्कि अवशेषों को इस तरह दफन कर दिया जाये कि इससे बदबू न फैले। मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि किसी प्रकार के उपद्रव पर संयम और धैर्य से काम लेते हुए मामले की शिकायत स्थानीय थाने में अवश्य दर्ज करायी जानी चाहिए।