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Modi government’s vision : अब भारतीय सेना में ‘गोरखाओं’ की जगह आदिवासियों की होगी भर्ती !

Modi government’s vision : अब भारतीय सेना में ‘गोरखाओं’ की जगह आदिवासियों की होगी भर्ती !

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National news, National update, Modi Sarkar, Indian army, adivasi  : नई सैन्य भर्ती प्रक्रिया ‘अग्निपथ’ स्कीम को लेकर भारत और नेपाल के बीच तनाव बढ़ने के पश्चात ‘गोरखा रेजिमेंट’ सेनिकों की कमी का सामना कर रहा है। नेपाली नागरिकों की भारतीय सेना में भर्ती रुकने के कारण, इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सेना भारतीय आदिवासी जनजातियों की भर्ती करने की योजना बना रही है। इस पहल का उद्देश्य भारतीय सेना में गोरखा राइफल्स की शक्ति और विरासत को बनाए रखना है।

भारतीय सेना में 7 गोरखा रेजिमेंट

भारतीय सेना में सात गोरखा रेजिमेंट हैं, जिसमें आमतौर पर 60 फीसदी सीटें नेपाली युवाओं के लिए आरक्षित होती हैं। वार्षिक भर्ती की दर धीरे-धीरे घटकर लगभग 1,500 हो गई है, जो पहले प्रतिवर्ष 4,000 थी। सेना में 1300 नेपाली युवाओं की भर्ती की योजना बनाई जा रही थी, इसलिए भारत ने ‘अग्निपथ’ स्कीम के तहत मित्र देश नेपाल से भी सैनिकों की भर्ती के लिए सहायता मांगी थी, ताकि गोरखाओं की संख्या में वृद्धि की जा सके। इस दौरान, नई सैन्य भर्ती प्रक्रिया ‘अग्निपथ’ स्कीम के बारे में भारत और नेपाल के बीच तनाव बढ़ गया। इस कारण नेपाल ने अग्निपथ योजना के तहत भर्तियों को रोक दिया, जिसके लिए रैलियां आयोजित होनी थीं।

भारतीय सेना में 30 हजार नेपाली नागरिक सेवा दे रहे

वर्तमान में भारतीय सेना के सात गोरखा राइफल्स रेजिमेंट में लगभग 30 हजार नेपाली नागरिक सेवा कर रहे हैं। प्रत्येक रेजिमेंट में पांच से छह बटालियन होते हैं। नेपाल में 1.3 लाख से अधिक पूर्व सैन्य भी हैं, जो भारतीय सेना की ओर से अपनी पेंशन प्राप्त करते हैं। गोरखा रेजिमेंट के जवान भारत में अधिकांशतः पहाड़ी इलाकों में तैनात रहते हैं, क्योंकि इनके बारे में कहा जाता है कि पहाड़ों पर उनसे बेहतर लड़ाई कोई और नहीं लड़ सकता है। गोरखा प्रशिक्षण केन्द्र शिलांग में कठोर भर्ती प्रशिक्षण के बाद नेपाली युवाओं को भारतीय सेना के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से फिट और पेशेवर रूप से सक्षम सैनिक बनाया जाता है।

आदिवासियों की भर्ती करने की योजना

अग्निपथ स्कीम के सम्बन्ध में नेपाल और भारतीय सेना के बीच तनातनी के बाद, गोरखा रेजिमेंट को सैनिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। नेपाली नागरिकों की भर्ती रुकने से इस मुद्दे का समाधान करने के लिए सेना भारत में समान गुणवाले आदिवासी सैन्यों की भर्ती करने की योजना बना रही है। इस पहल का उद्देश्य भारतीय सेना में गोरखा राइफल्स की ताकत और विरासत को बनाए रखना है। भारत को यह चिंता है क्योंकि नेपाली गोरखा अब रूसी सेना की ओर जा रहे हैं। नागरिकता नियमों में हाल ही में हुए बदलाव के बाद रूस नेपाली नागरिकों को नागरिकता प्रदान कर रहा है।

चीन भी गोरखा रेजीमेंट बनाने का सपना देख रहा

इसी तरह चीन भी अब नेपाल में भर्ती अभियान चला कर खुद भी ‘गोरखा रेजिमेंट’ बनाने के सपने देखने लगा है।  भारतीय गोरखा सैनिकों ने 1962 में चीन के साथ, फिर 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। 2020 में चीन के साथ तनाव शुरू होने से पहले, भारतीय गोरखा रेजिमेंट के 1642 सैनिक अपने-अपने घर वापस गए थे, लेकिन पूर्वी लद्दाख में चीन से मोर्चा खुलने के बाद, नेपाली सैनिक अपनी छुट्टी से वापसी कर आए। इससे चीन को भारत के गोरखा सैनिकों का सामर्थ्य खटकने लगा है। इस कारण से चीन ने एनजीओ चाइना स्टडी सेंटर को 12 लाख रुपये में ठेका देकर नेपाल में सर्वे कराया है।

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