Court convicted former IPS Sanjeev Bhatt in 28 year old drugs case, Breaking news, National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news, Gujarat news, Palampur news : गुजरात के चर्चित पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट 28 साल पुराने ड्रग केस में दोषी करार दिये गये हैं। एनडीपीएस एक्ट के तहत साल 1996 में पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। बुधवार को पालनपुर सेशन कोर्ट में उन्हें इसी मामले में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उन्हें दोषी ठहरा दिया है। 1996 के इस केस में तब बनासकांठा के एसपी रहे संजीव भट्ट पर आरोप लगा था कि उन्होंने पालनपुर के एक होटल में 1.5 किलो अफीम रखकर एक वकील को नारकोटिक्स केस में फंसा दिया था।
संजीव भट्ट समेत तिस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व डीजीपी आर बी श्रीकुमार के साथ वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के मामले में सबूत गढ़ने का आरोप भी है। भट्ट पर आरोप था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर वर्ष 2002 के गुजरात दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका का आरोप लगाया था। आरोपों को एक विशेष जांच दल ने खारिज कर दिया था। इसके बाद भट्ट को वर्ष 2011 में सेवा से निलम्बित कर दिया था। बाद में अगस्त 2015 में गृह मंत्रालय ने अनधिकृत अनुपस्थिति के लिए सेवा से बर्खास्त कर दिया था।
पहले से काट रहे आजीवन कारावास की सजा
गुजरात हाई कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 09 जनवरी, 2024 को कस्टडी में मौत के मामले में जामनगर सेशन कोर्ट द्वारा सुनायी गयी आजीवन कारावास की सजा को हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। साल 1990 के मामले में पहले सेशन कोर्ट ने भट्ट को सजा सुनायी थी। जामनगर में साम्प्रदायिक दंगा भड़कने के बाद संजीव भट्ट ने आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) के तहत लगभग 133 लोगों को हिरासत में लिया था। 30 अक्टूबर, 1990 को भारत बंद का आह्वान विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा ने किया था। तत्कालीन भाजपा प्रमुख लाल कृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के विरोध में बंद का ऐलान किया गया था। इसी बीच हिरासत में लिए गए व्यक्तियों में से एक प्रभुदास वैश्नानी की हिरासत से रिहा होने के बाद मृत्यु हो गयक थी। उनके परिवार ने आरोप लगाया था कि भट्ट और उनके सहयोगियों ने उन्हें हिरासत में यातना दी थी। परिवार ने आरोप लगाया कि हिरासत में लिये गये लोगों को लापरवाही से लाठियों से पीटा गया और उन्हें कोहनी के बल रेंगने जैसी कुछ हरकतें करने के लिए मजबूर किया गया। आरोप है कि उन्हें पानी तक पीने की इजाजत नहीं दी गयी, जिससे वैश्नानी की किडनी खराब हो गयी थी। वैश्नानी नौ दिनों तक पुलिस हिरासत में थे। जमानत पर रिहा होने के बाद, वैश्नानी की गुर्दे की विफलता से मृत्यु हो गयी थी।