National news, National update : केन्द्र सरकार इन दिनों पूरी तरह चुनावी मोड में है। सरकार हर वर्ग को साधने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में सरकार का फोकस आधी आबादी ; यानी महिलाओं पर है। महिला आरक्षण कानून लाने के बाद केन्द्र सरकार 05 राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले महिलाओं के लिए बड़ी घोषणा करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, महिलाओं के नाम पर लिये जानेवाले हर तरह के कर्ज की ब्याज दरें पुरुषों के मुकाबले कम की जायेंगी। इससे सम्बन्धित योजना की घोषणा नवरात्र के दौरान हो सकती है।
पांच राज्यों में चुनावों को लेकर महिलाओं पर फोकस
जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव पर भी फोकस किये हुए है। इसलिए वह एक तीर से कई निशाने लगा रही है। इसी के तहत वह शक्ति के महापर्व नवरात्र के अवसर पर महिलाओं को बड़ी सौगात देने जा रही है। केन्द्र सरकार ने महिलाओं को सस्ता कर्ज दिलाने के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है। कर्ज पर छूट कितनी मिलेगी? इस सवाल पर वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि अभी इसका खुलासा नहीं किया जा सकता। लेकिन, यह सम्भव है कि 30-40 लाख रुपये तक का होम लोन लेनेवाली महिलाओं को ब्याज में छूट मिलेगी। अगर महिला होम लोन के को-एप्लिकेंट हों, तो भी यह छूट मिल सकती है। माना जा रहा है कि बैंकों के अलावा एनबीएफसी संस्थाएं भी सस्ते कर्ज की योजनाएं लायेंगी।
महिलाओं को मोटिवेट करने का लक्ष्य
महिलाओं को कर्ज के ब्याज में छूट देने के लिए कुछ गाइडलाइन बनायी जायेंगी। सामान्य महिलाओं को तो यह छूट मिलेगी ही, लेकिन सिंगल चाइल्ड मदर, ओनली गर्ल चाइल्ड मदर या विधवा को अधिक छूट मिल सकती है। वहीं, वर्किंग वूमेन्स को भी सस्ती दरों पर कर्ज देने पर विचार किया जा रहा है। इसके पीछे मकसद यह है कि 01 से 05 साल के दौरान रोजगार से जुड़ीं युवतियों को छूट का लाभ दिया जाये, जिससे वे प्रॉपर्टी बनाने के लिए मोटिवेट हो सकें। भाजपा के रणनीतिकारों को लगता है कि जैसे राज्यों में जमीन या मकान की रजिस्ट्री पर कम शुल्क की वजह से महिलाओं के नाम पर ज्यादा सम्पत्ति दर्ज हो रही हैं, ठीक वैसे ही महिलाओं के नाम पर लोन बढ़ने से उनकी अचल सम्पत्ति भी बढ़ने लगेगी।
होम लोन में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा
महिलाएं होम लोन लेने के मामले में पुरुषों से अधिक हैं। 46 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 48 प्रतिशत महिलाओं ने होम लोन लिया है। बाकी के 06 प्रतिशत लोन संयुक्त रूप से लिये गये हैं। व्यवसाय, खेती और बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए भी महिलाओं में लोन का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। सरकार को लगता है कि जो दल 33 प्रतिशत महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल प्रभाव से लागू नहीं करने को लेकर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें उत्तर देने के लिए यह योजना काफी है।
कर्ज की ब्याज दरें पुरुषों से कम की जायेंंगी
मोदी सरकार का महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर
संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल के पास होने और काननू बनने के बाद देश में हर सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी पर खूब चर्चा होने लगी है। यह कानून बनने के बाद भी देश की महिलाओं को पुरुषों के बराबर आने में अभी 149 साल लगेंगे। जबकि, दुनिया में लैंगिक समानता में 131 साल लगेंगे। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में यह अनुमान लगाया गया है। आधार यह है कि 2006 से 2023 के बीच लैंगिक समानता सिर्फ 4 प्रतिशत सुधर कर 68 प्रतिशत पर पहुंची है। इसी रफ्तार से बढ़े, तो साल 2154 से पहले 100 प्रतिशत तक पहुंचना मुश्किल है। चूंकि, भारत में यह 64 प्रतिशत पर है, ऐसे में यहां 18 साल ज्यादा लगेंगे।