National update, national news, new Delhi news, pm modi, women reservation : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को संसद के नये भवन में लोकसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि नारीशक्ति वंदन अधिनियम हमारे लोकतंत्र को और मजबूत करेगा। सामान्य कल्याण के लिए सामूहिक संवाद और कार्रवाई की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने लक्ष्यों की एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी को संसदीय परम्पराओं की लक्ष्मण रेखा का पालन करना चाहिए।
हर क्षेत्र में महिलाओं के बढ़ते योगदान को देखते हुए प्रधानमंत्री ने नीति-निर्माण में अधिक महिलाओं को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि राष्ट्र में उनका योगदान और बढ़ सके। उन्होंने सदस्यों से इस ऐतिहासिक दिन पर महिलाओं के लिए अवसरों के दरवाजे खोलने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार आज एक प्रमुख संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी का विस्तार करना है। नारीशक्ति वंदन अधिनियम हमारे लोकतंत्र को और मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री ने देश की तमाम महिलाओं को आश्वस्त किया वह इस विधेयक को कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने दोनों सदनों से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराने का अनुरोध किया।
नये संसद भवन में पहला सत्र ऐतिहासिक
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज नये संसद भवन में ऐतिहासिक पहला सत्र है। इस अवसर पर उन्होंने अपनी शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अमृतकाल की सुबह है, क्योंकि भारत नये संसद भवन की ओर अग्रसर होकर भविष्य के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। हाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने विज्ञान क्षेत्र में चंद्रयान-3 की सफलताओं और जी-20 के संगठन तथा वैश्विक स्तर पर इसके प्रभाव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए एक अनूठा अवसर उपस्थित हुआ है और इसी आलोक में देश का नया संसद भवन आज क्रियाशील हो रहा है।
गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान श्री गणेश समृद्धि, शुभता, कारण और ज्ञान के देवता हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संकल्पों को पूरा करने और नये उत्साह और ऊर्जा के साथ नयी यात्रा शुरू करने का समय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज क्षमा का पर्व संवत्सरी भी है। यह त्योहार किसी भी जान-बूझ कर और अनजाने कृत्यों के लिए क्षमा मांगने के बारे में है, जिससे किसी को ठेस पहुंची हो। प्रधानमंत्री ने भी त्योहार की भावना से सभी को मिच्छामि दुक्कडं कहा और अतीत की सभी कड़वाहटों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ने को कहा।
प्रधानमंत्री ने पुराने और नये के बीच एक कड़ी और स्वतंत्रता की पहली रोशनी के साक्षी के रूप में पवित्र सेंगोल की उपस्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस पवित्र सेंगोल को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्पर्श किया था। मोदी ने कहा कि इसलिए सेंगोल हमें हमारे अतीत के एक बहुत महत्त्वपूर्ण हिस्से से जोड़ता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नयी इमारत की भव्यता अमृतकाल का अभिषेक करती है और उन श्रमिकों और इंजीनियरों की कड़ी मेहनत को याद करती है, जो महामारी के दौरान भी इमारत पर काम करते रहे। प्रधानमंत्री ने पूरे सदन में इन श्रमिकों और इंजीनियरों के लिए तालियां बजायीं। उन्होंने बताया कि 30 हजार से अधिक श्रमिकों ने निर्माण में योगदान दिया और श्रमिकों का पूरा विवरण देनेवाली एक डिजिटल पुस्तक की उपस्थिति का उल्लेख किया।
देश की सेवा करने के लिए संसद सर्वोच्च पद
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की सेवा करने के लिए संसद सर्वोच्च पद है। उन्होंने रेखांकित किया कि सदन किसी राजनीतिक दल के लाभ के लिए नहीं है, बल्कि केवल राष्ट्र के विकास के लिए है। सदस्य के रूप में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपने शब्दों, विचारों और कार्यों से संविधान की भावना को बनाये रखना चाहिए। मोदी ने अध्यक्ष को आश्वासन दिया कि प्रत्येक सदस्य सदन की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पर खरा उतरेगा और उनके मार्गदर्शन में काम करेगा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सदन में सदस्यों का व्यवहार उन कारकों में से एक होगा, जो यह निर्धारित करेगा कि वे सत्ता पक्ष का हिस्सा होंगे या विपक्ष का, क्योंकि सभी कार्यवाही जनता की नजरों में हो रही है। समाज के प्रभावी परिवर्तन में राजनीति की भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष से लेकर खेल तक के क्षेत्रों में भारतीय महिलाओं के योगदान पर ध्यान केन्द्रित किया। उन्होंने याद किया कि कैसे दुनिया ने जी-20 के दौरान महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की अवधारणा को अपनाया था। उन्होंने कहा कि इस दिशा में सरकार के कदम सार्थक रहे हैं। जनधन योजना के 50 करोड़ लाभार्थियों में से अधिकतर खाते महिलाओं के हैं। उन्होंने मुद्रा योजना, पीएम आवास योजना जैसी योजनाओं में महिलाओं के लिए लाभ का भी उल्लेख किया।
अटल बिहारी वाजपेई जी के कार्यकाल में इसे कई बार सदन में पेश किया गया
यह देखते हुए कि किसी भी राष्ट्र की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है जब इतिहास रचा जाता है, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का अवसर भारत की विकास यात्रा में वह क्षण है, जब इतिहास लिखा जा रहा है। महिला आरक्षण पर संसद में हुई चर्चा और विचार-विमर्श पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि इस मुद्दे पर पहला विधेयक पहली बार 1996 में पेश किया गया था। उन्होंने कहा कि अटल जी के कार्यकाल में इसे कई बार सदन में पेश किया गया था, लेकिन महिलाओं के सपनों को हकीकत में बदलने के लिए अपेक्षित संख्या में समर्थन नहीं जुटा सकी। मोदी ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि भगवान ने मुझे इस काम को पूरा करने के लिए चुना है।’ उन्होंने बताया कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में महिलाओं के आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि 19 सितम्बर 2023 का यह ऐतिहासिक दिन भारत के इतिहास में अमर रहेगा।
प्रधानमंत्री ने राज्यसभा सदस्यों से नारीशक्ति वंदन अधिनियम का सर्वसम्मति से समर्थन का किया आग्रह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा के सदस्यों से नारीशक्ति वंदन अधिनियम का सर्वसम्मति से समर्थन करने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री ने मंगलवार को नये संसद भवन में राज्यसभा को सम्बोधित करते हुए लोकसभा में पेश नारीशक्ति वंदन अधिनियम का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब हम जीवन की सहजता की बात करते हैं, तो उस सहजता का पहला हक महिलाओं का है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास जी20 में चर्चा का सबसे बड़ा विषय था। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि संसद में महिलाओं के लिए आरक्षण का मुद्दा दशकों से लम्बित है और सभी ने अपनी क्षमता से इसमें योगदान दिया है। यह इंगित करते हुए कि विधेयक पहली बार 1996 में पेश किया गया था और अटल जी के कार्यकाल के दौरान इस पर कई विचार-विमर्श और चर्चाएं हुईं, लेकिन संख्या की कमी के कारण विधेयक को मंजूरी नहीं मिल सकी। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि विधेयक अंतत: कानून बन जायेगा। कानून और नये भवन की नयी ऊर्जा के साथ राष्ट्र निर्माण की दिशा में ‘नारी शक्ति’ सुनिश्चित करें। उन्होंने आज लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम को संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश करने के सरकार के फैसले की जानकारी दी, जिस पर बुधवार को बहस होगी। प्रधानमंत्री ने राज्यसभा के सदस्यों से सर्वसम्मति से विधेयक का समर्थन करने का आग्रह किया।
यह अवसर ऐतिहासिक और यादगार
सदन को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का अवसर ऐतिहासिक और यादगार है। यह देखते हुए कि राज्यसभा को संसद का उच्च सदन माना जाता है, प्रधानमंत्री ने संविधान के निर्माताओं के इरादों को रेखांकित किया कि सदन एक दिशा देते हुए राजनीतिक प्रवचन के उतार-चढ़ाव से ऊपर उठ कर गम्भीर बौद्धिक चर्चा का केन्द्र बने। प्रधानमंत्री ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए कहा कि संसद सिर्फ एक विधायी निकाय नहीं, बल्कि एक विचार-विमर्श करनेवाली संस्था है। मोदी ने कहा कि राज्यसभा में गुणवत्तापूर्ण बहस सुनना हमेशा सुखद होता है। उन्होंने कहा कि नयी संसद सिर्फ एक नयी इमारत नहीं, बल्कि एक नयी शुरुआत का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि अमृत काल के भोर में यह नयी इमारत 140 करोड़ भारतीयों में एक नयी ऊर्जा का संचार करेगी। पिछले 09 वर्षों में लिये गये निर्णयों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने उन मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया, जो दशकों से लम्बित थे और जिन्हें स्मारकीय माना जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ऐसे मुद्दों को छूना राजनीतिक दृष्टिकोण से एक बड़ी गलती मानी जाती थी।’
सरकार ने इस दिशा में बड़े कदम उठाये
उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार ने इस दिशा में बड़े कदम उठाये हैं, भले ही उनके पास राज्यसभा में आवश्यक संख्या नहीं थी। मोदी ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि देश की भलाई के लिए मुद्दों को उठाया गया और हल किया गया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा की गरिमा सदन में संख्या बल के कारण नहीं, बल्कि निपुणता और समझ के कारण बरकरार रखी गयी। प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान सदन में हमने आजादी के 75 साल का जश्न मनाया, 2047 में जब नये भवन में आजादी की सदी मनायी जायेगी, तो विकसित भारत में यह जश्न होगा। उन्होंने आगे कहा कि पुरानी इमारत में हम दुनिया की अर्थव्यवस्था के मामले में 5वें स्थान पर पहुंच गये थे। उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि नयी संसद में हम दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होंगे।’ प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन के साथ-साथ नयी तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, क्योंकि यह सदन अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है। उन्होंने सदस्यों से सदन में उपलब्ध नयी तकनीक से अभ्यस्त होने में एक-दूसरे का समर्थन करने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस डिजिटल युग में हमें प्रौद्योगिकी को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। मेक इन इंडिया का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश नयी ऊर्जा और उत्साह के साथ इस पहल का भरपूर लाभ उठा रहा है।