National News, Supreme Country, Maobadi Link Case : माओवादी लिंक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। SC ने 15 अक्टूबर को एक विशेष सुनवाई में बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के 14 अक्टूबर के आदेश को निलंबित कर दिया, जिसमें साईबाबा और अन्य को आरोप मुक्त कर दिया था। एससी ने साईबाबा की हाउस अरेस्ट की मांग को भी ठुकरा दिया। कोर्ट ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्हें गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।
हाईकोर्ट के फैसले को महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
अदालत ने कहा कि गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्रावधानों के तहत मामले में आरोपी के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी देना अवैध था। उच्च न्यायालय के आदेश के कुछ घंटों बाद, महाराष्ट्र सरकार ने फैसले पर रोक के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
डिटेल में जानिए है क्या है पूरा मामला
मार्च 2017 में महाराष्ट्र के गडचिरोली जिले की सत्र अदालत ने साईबाबा, एक पत्रकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र सहित अन्य को माओवादियों से संबंध का दोषी पाया था। इन लोगों को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी दोषी ठहराया गया था। अदालत ने साईबाबा और अन्य को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत सजा सुनाई थी।
सिर्फ एक को मिली थी जमानत
गिरफ्तारी के समय साईबाबा दिल्ली में रहते थे, जबकि सह-आरोपी महेश तिर्की (27) और पांडु नरोटे (अपील पर सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई) गडचिरोली जिले के स्थानीय निवासी और किसान थे। गिरफ्तारी के समय हेम मिश्रा (37) उत्तराखंड के अल्मोडा जिले में रहने वाले छात्र थे, प्रशांत सांगलीकर (59) पत्रकार थे जो उत्तराखंड के देहरादून के रहने वाले हैं और छत्तीसगढ़ के विजय तिर्की (35) मजदूर थे। इस मामले में सिर्फ विजय तिर्की को जमानत मिली थी।