National top news, national news, national update, national news, new Delhi top news : भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न सम्मान से नवाजा जाएगा। मोदी सरकार ने लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया है। इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं। भारत के विकास में उनका अहम योगदान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर यह जानकारी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें ढेर सारी बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी ने उपप्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की है। उन्होंने देश के गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं।’
आडवाणी ने देश की राजनीति बदल दी
ऐसा माना जाता है कि राममंदिर आंदोलन से लालकृष्ण आडवामी ने देश की राजनीति बदल दी थी। भाजपा के दिग्गज नेता आडवाणी ने 1990 में राममंदिर आंदोलन की शुरुआत की थी। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा की थी। उनकी रथयात्रा ने देश की राजनीति बदलकर रख दी थी। 1992 के अयोध्या राममंदिर आंदोलन उनके नेतृत्व में हुई।
जानिए कौन हैं एलके आडवाणी ?
आपको बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी का जन्म पाकिस्तान अंतर्गत सिंध प्रांत में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई कराची में हुई। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ सेंट पैट्रिक हाईस्कूल में पढ़ाई की है। इसके बाद उन्होंने सिंध कॉलेज से पढ़ाई की। बाद में उनका परिवार मुंबई आ गया। आडवाणी जब 14 साल के थे तब वो संघ से जुड़ गए। 1951 में वो जनसंघ से जुड़े। उसके बाद 1977 में जनता पार्टी का साथ निभाया। 1980 में देश में भाजपा का उदय हुआ। इसके बाद भारत की राजनीति में अटल आडवाणी युग की शुरुआत हुई। अटल – आडवाणी की जोड़ी ने देश की राजनीति की दिशा बदल दी।
कब-किस पद पर रहे लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी अपने राजनीति के सफर में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। 1977 में सूचना प्रसारण मंत्री बने तो वर्ष 2002 में उप-प्रधानमंत्री। 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार उनके लिए बड़ा झटका साबित हुई। उसके बाद भाजपा में नई पीढ़ी के आगमन के लिए उन्होंने रास्ता छोड़ दिया। इसके बाद से उनकी राजनीतिक सक्रियता कम होती गई। बताया जाता है कि भाजपा आज जिस मजबूत स्थिति में है, उसकी नींव रखने वालों में आडवाणी का नाम अटल बिहारी बाजपेयी के साथ लिया जाता है।