भोपाल : खगोल विज्ञान में रुचि रखनेवाले लोगों के लिए गुरुवार14 दिसम्बर की रात्रि बेहद खास होनेवाली है। इस दौरान साल 2023 की सबसे बड़ी खगोलीय आतिशबाजी देखने को मिलेगी। इस दिन शाम 07 बजे के पहले ही दूज के पतले हंसियाकार चंद्रमा के अस्त होने के बाद अंधेरे पूर्वी आकाश में जेमिनीड उल्का बौछार के दिखने की शुरुआत होगी। भोपाल की राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बुधवार को आकाश की इस प्राकृतिक आतिशबाजी के बारे में बताया कि यह वर्ष की सबसे शानदार उल्का वर्षा होगी। इसमें प्रति घंटे लगभग 120 से 150 तक उल्काओं (टूटते तारों) को देखने की सम्भावना रहेगी।
उल्काएं 35 किमी प्रति सेकेंड के वेग से नीचे आएंगी
ये उल्काएं 35 किलोमीटर प्रति सेकेंड के वेग से नीचे आती दिखेंगी। इसे देखने के लिए शहर की रोशनी या स्ट्रीट लाइट से काफी दूर के क्षेत्र में जाकर किसी छत या साफ मैदान पर लॉन कुर्सी या दरी पर लेट कर अथवा बैठ कर पूर्वी आसमान से देखने की शुरुआत करें। अंधेरे में लगभग 30 मिनट के बाद आपकी आंखें अनुकूल हो जायेंगी और आपको कुछ अंतराल पर उल्काएं दिखाई देने लगेंगी। यह बौछार रातभर चलेगी, इसलिए धैर्य रखें। इसे देखने के लिए अलग से कोई यंत्र आवश्यक नहीं होता है।
जेमिनीड उल्कापात उल्कापिंड 3200 फैथान के कारण होता है
उन्होंने बताया कि जेमिनीड उल्का बौछार का नाम जेमिनी तारामंडल से लिया गया है, क्योंकि उल्का बौछार की मिथुन तारामंडल के सामने से ही होती दिखती है। जेमिनीड उल्कापात उल्कापिंड 3200 फैथान के कारण होता है। जब पृथ्वी इसके द्वारा छोड़े गए धूल से होकर गुजरती है, तो धूल एवं चट्टान हमारे वायुमंडल के ऊपरी भाग के सम्पर्क में आकर जल जाती है, जो हमें उल्का बौछार के रूप में दिखाई देती है। …तो हो जाइए, आकाशीय आतिशबाजी को देर रात तक देखने के लिए तैयार, गर्म कपड़े और कम्बल को साथ रखना न भूलें, क्योंकि इस समय रात में कड़ाके की ठंड भी रहेगी।