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National: शरद पवार के परिवार में क्यों हुआ अलगाव, भतीजे राजेंद्र पवार ने बताई 36 साल पुरानी बात

National: शरद पवार के परिवार में क्यों हुआ अलगाव, भतीजे राजेंद्र पवार ने बताई 36 साल पुरानी बात

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Maharashtra top news, Maharashtra news, Sharad Pawar family, Separation of Sharad Pawar’s family : ताकतवर और बड़े परिवारों का अलगाव हमेशा से सुर्खियों में रहा है। वैसे अलगाव किसी भी मायने में ठीक नहीं होता। इससे परिवार के सभी सदस्यों को अभिमान नुकसान ही होता है। लेकिन आपसी कटुता और महत्वाकांक्षा के कारण बड़े परिवारों में अलगाव हो ही जाता है। आज हम बताने जा रहे हैं शरद पवार के परिवार के अलगाव की कहानी। यह सर्व विदित है कि अजित पवार के शरद पवार से अलग होने से एनसीपी टूट चुकी है। पार्टी दो भाग में बंट चुकी है। यहां तक की इस पार्टी का शरद पवार से सिंबल तक छीना जा चुका है। चुनाव आयोग ने अजीत पवार की एनसीपी को ही असली एनसीपी करार दिया है। फिलहाल शरद पवार से अलग हुए परिवार के  सदस्यों में अदावत चल रही है। 

शरद पवार ने मुझे दो बार राजनीति में आने से रोका

इसी बीच शरद पवार के भतीजे राजेंद्र पवार ने परिवार के बंटवारे से जुड़ी एक कहानी सुनाते हुए बताया कि पार्टी में विभाजन तो 36 साल पहले ही हो गया होता। उन्होंने लोकसभा क्षेत्र बारामती में सुनेत्रा पवार की उम्मीदवारी पर  कहा कि शरद पवार के मुख्यमंत्री रहने के दौरान अजित पवार ने राजनीतिक में प्रवेश किया। उसके बाद उन्होंने राजनीति में सक्रिय रूप से हिस्सा लेना शुरू कर दिया। इस दौरान मैंने दो बार छत्रपति फैक्ट्री चुनाव में अपनी रुचि व्यक्त की थी। मैं भी राजनीति में आना चाहता था, लेकिन शरद पवार ने दोनों बार मुझे इस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोक दिया। मैंने भी अपने चाचा शरद पवार की बात मान ली।

शरद पवार राजनीति को बेहतर जानते हैं

उन्होंने कहा किमुझे लगता है कि भले ही यह एक राजनीतिक फैसला है, लेकिन शरद पवार राजनीति को बेहतर जानते हैं। यदि मैं उस समय राजनीतिक क्षेत्र में उतरता तो इसकी शुरुआत भी उसी समय हो गयी होती। लेकिन जो हुआ अच्छा हुआ। बारामती लोकसभा क्षेत्र में सुप्रिया सुले के खिलाफ सुनेत्रा पवार के आमने-सामने होने पर टिप्पणी करते हुए, राजेंद्र पवार ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। क्योंकि ऐसा होना हमारे परिवार के लिए बहुत खराब बात है।  बारामती के लोग 50 वर्षों से हमारे पूरे परिवार के साथ हैं। लेकिन अब वह बट जाएंगे, कुछ इधर जाएंगे, कुछ उधर जाएंगे। कुल मिलाकर नुकसान परिवार का ही होगा। हमारे लोगों पर इस बात को लेकर दबाव भी होगा कि वे किधर जाएं। 

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