भारत के केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नई संसद के शीर्ष पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया। पुरी ने कहा है कि संसद के ऊपर लगाया गया राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह सारनाथ के मूल प्रतीक चिन्ह की महज एक प्रतिलिपि है। इस प्रतीक चिन्ह में सिर्फ आकार का अंतर है।
शेर आक्रामक है या शांत यह देखने वाले की आंख पर निर्भर करता है
हरदीप पुरी ट्वीट कर कहा कि अनुपात और परिपेक्ष बेहद जरूरी है और यह देखने वाले की आंखों में है कि उसे क्या दिखाई देता है। उसे शांत स्वभाव दिखता है या क्रोध दिखाई देता है। गौरतलब है कि सोशल मीडिया और कुछ टीवी चैनलों पर संसद के ऊपर लगे प्रतीक चिन्ह को लेकर कई तरह की चर्चाएं की जा रही थी। विपक्षी दल भी इस मामले को हवा दे रहे हैं। कुछ में कहा जा रहा है कि संसद के ऊपर रखे गए प्रतीक चिन्ह में शेर आक्रामक है। उन्होंने कहा, “दो संरचनाओं की तुलना करते समय कोण, ऊंचाई और पैमाने के प्रभाव को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। यदि कोई नीचे से सारनाथ के प्रतीक को देखता है तो वह उतना ही शांत या क्रोधित लगेगा जितना कि चर्चा की जा रही है।”
स्वरूप वही, सिर्फ शेरों के आकार में है अंतर
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि सारनाथ मूल प्रतीक 1.6 मीटर ऊंचा है तो वही संसद भवन में यह प्रति 6.8 मीटर है। मूल प्रतीक चिन्ह की प्रतिलिपि नई इमारत से साफ-साफ नहीं दिखाई देती। इसलिए उसको बड़े आकार में लगाया गया है। यह विशेषज्ञों को यह समझना चाहिए कि सारनाथ की मूल प्रतिमा जमीन पर स्थित है, जबकि नया प्रतीक जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर है।