National latest Hindi news : कहते हैं न घटना की कोई प्रकृति नहीं होती, कोई समय नहीं होता, वह कहीं भी किसी भी क्षण घटित हो सकता है । घटना की प्रकृति कुछ इस तरह की भी होती है, जो हमें आश्चर्यचकित कर जाती है । सोचिए कोई डेढ़ साल का बच्चा साबुन अथवा सर्फ के झाग से भरे वाशिंग मशीन में गिर पड़े और उसमें 15 मिनट तक यूं ही पड़ा रहे, फिर उसका क्या हश्र हुआ होगा। जहां तक आपकी नजर जाए, जाइए और सोचिए, उस बच्चे के साथ क्या हुआ जब उसे वाशिंग मशीन से बाहर निकाला गया होगा। यह घटना दिल्ली के एक घर में हाल में ही घटी है। आखिर उस बच्चे के साथ क्या हुआ…, आइये आगे जानें…
आखिर छोटा बच्चा वाशिंग मशीन में गिरा कैसे
आखिर बच्चा वाशिंग मशीन तक पहुंचा कैसे और फिर उस में गिरा कैसे, क्योंकि बच्चा कद, काठी और उम्र की लिहाज बहुत छोटा था और न तो यह घटना किसी सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में कैद हुई और न ही कोई इस घटना का चश्मदीद गवाह ही था ल। लिहाजा बस कयासों के आधार पर बताया जा रहा है कि बच्चा संभवत वाशिंग मशीन में लटक कर वहां तक पहुंचा होगा और उसमें गिर पड़ा होगा। हां इतना जरूर बताया जा रहा है कि जब बच्चे की मां कुछ समय के लिए कमरे से बाहर गई और फिर अंदर आई तो बच्चा नहीं दिखा। मां ने जब इधर-उधर झांका, तब सहसा उसे एहसास हुआ कि बच्चा टॉप लोडिंग वाशिंग मशीन में गिरा पड़ा है। उसे आनन-फानन में निकाला गया और वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया। फिर क्या हुआ आइए जाने…
वह बेहोश था, कोई रिस्पांस नहीं कर पा रहा था, शरीर भी पड़ा था ठंडा
बच्चे को जब अस्पताल लाया गया, वह बेहोश था, कोई रिस्पांस भी नहीं दे रहा था, उसका शरीर पूरी तरह से ठंडा पड़ा था, वह सही ढंग से सांस भी नहीं ले पा रहा था। नियोंनेटोलॉजी एंड पीडियाट्रिक्स विभाग के चिकित्सकों के अनुसार उसका शरीर नीला पड़ गया था और वह हांफ़ रहा था, उसकी हॉट रेट कमजोर थी, कोई पल्स और बीपी भी नहीं था। माना जा रहा है, वह 15 मिनट से अधिक समय तक पानी में नहीं रहा होगा, अन्यथा उसके जीवित रहने की आस छोड़ देनी होती।
फ्लूइड सपोर्ट पर 12 दिनों आईसीयू में रहा बच्चा
साबुन के पानी में डूबे रहने की वजह से बच्चे के कई अंग ठीक से काम नहीं कर रहे थे। लिहाजा बच्चे को जरूरी एंटीबायोटिक और फ्लूइड सपोर्ट दिया गया। धीरे-धीरे वह अपनी मां को पहचाने लगा। फिर उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया। सात दिनों तक आईसीयू में रखने के बाद उसे वार्ड में शिफ्ट किया गया, जहां वह करीब 12 दिनों तक रहा। अब वह सामान्य व्यवहार करने लगा है और ठीक से चल भी रहा है। इलाज अभी भी जारी है।