पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजद नेता शरद यादव ने दिल्ली में सरकारी बंगला खाली करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें 31 मार्च तक बंगला खाली करने का आदेश दिया है। गत 15 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने शरद यादव को 15 दिनों के भीतर दिल्ली के सरकारी आवास को खाली करने का आदेश दिया था। 2017 में शरद यादव ने याचिका दायर कर अपनी अयोग्यता को चुनौती दी थी। यह याचिका अभी भी लंबित है। शरद ने अपनी याचिका में कहा है कि अयोग्य करार देने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।
शरद का जदयू नेता ने किया विरोध
इधर, शरद यादव की दलील का जदयू नेता रामचंद्र प्रसाद ने विरोध करते हुए कहा था कि शरद यादव ने दल-बदल कानून का उल्लंघन किया है। शरद यादव और दूसरे राज्यसभा सांसद अली अनवर को 4 दिसंबर 2017 को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल से नाता तोड़कर जब बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी तो शरद यादव विपक्षी दलों के साथ चले गए थे। इसके बाद जदयू ने राज्यसभा के सभापति से मांग की थी कि शरद यादव और अली अनवर ने स्वयं ही पार्टी छोड़कर विपक्षी दलों के कार्यक्रम में जाना शुरू कर दिया है इसलिए उनकी राज्यसभा सदस्यता खत्म की जाए।