दिल्ली उच्च न्यायालय ने उद्योगपति रतन टाटा को भारत रत्न सम्मान देने की मांग गुरुवार को खारिज कर दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये काम कोर्ट का नहीं है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ये किस तरह की याचिका है। कोर्ट जब याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने जा रही थी तब याचिकाकर्ता के वकील एके दुबे ने याचिका वापस ले ली। याचिका राकेश कुमार ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि रतन टाटा ने पूरी उम्र देश के कल्याण में लगाया है। उन्होंने उद्यमियों को आगे बढ़ने का काफी मौका दिया।
देश के लिए बहुत कुछ किया है रतन टाटा ने
याचिका में कहा गया है कि रतन टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन पद से हटने के बाद व्यक्तिगत तौर पर भी स्टार्टअप में निवेश किया। याचिका में कोरोना महामारी के दौरान रतन टाटा के योगदान का जिक्र किया गया था। याचिका में कहा गया था कि देश के लिए बड़ा योगदान देने वाले 48 लोगों को भारत रत्न दिया गया है। सोशल मीडिया पर रतन टाटा को भारत रत्न देने की लगातार मांग की जा रही है। उल्लेखनीय है कि रतन टाटा को 2000 में पद्मभूषण और 2008 में पद्मविभूषण से नवाजा गया था।