Know Traditional Knowledge, UGC Draft Proposal, New Delhi : बेशक भारतीय ज्ञान परंपरा ज्ञान का अद्भुत खजाना है। बस इसे समय के साथ समझने और समझाने की जरूरत है। लकीर का फकीर बनिएगा तो अच्छे ज्ञान से वंचित हो जाइएगा। खूब ज्ञानी बनना है तो रामायण और महाभारत काल की ज्ञान परंपरा से अवगत होना होगा। तभी विश्व गुरु बनने का रास्ता खुलेगा।
यूजीसी का प्रपोजल, 30 अप्रैल तक दें सुझाव
प्राचीन भारत की सुश्रुत संहिता में वर्णित प्लास्टिक और मोतियाबिंद सर्जरी (Cataract Surgery), रामायण (Ramayana) और महाभारत में कृषि और सिंचाई का महत्व, खगोल विज्ञान की वैदिक अवधारणाएं और वैदिक गणित (Vedic Maths) से जुड़े विषयों को उच्च शिक्षा संस्थानों के पाठ्यक्रमों में शामिल करने का मसौदा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने तैयार किया है। इसके तहत भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) को इन विषयों पर पाठ्यक्रम शुरू करने का सुझाव दिया गया है। यूजीसी द्वारा जारी मसौदे में उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने के लिए सुझाव दिए गए हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के दिशा-निर्देशों के अनुसार है, जो शिक्षा के सभी स्तरों पर भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल करने की सिफारिश करती है। यूजीसी ने इस मसौदे पर शिक्षाविदों और लोगों से 30 अप्रैल तक सुझाव मांगे हैं।
छात्रों की सोच को व्यापक बनाना इसका उद्देश्य
मसौदा मानदंडों का उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों को ऐसे पाठ्यक्रम विकसित करने में मदद करना है, जो छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली के सभी पहलुओं से परिचित कराए। खासकर जो भारतीय ज्ञान उनके अध्ययन के क्षेत्रों से संबंधित हैं। इसका उद्देशय छात्रों को अधिक जानने की रुचि को बढ़ावा देने समेत उन्हें जिज्ञासु बनाना भी है। इस कारण यूजीसी के मसौदे में यह सुझाव दिया गया कि स्नातक या स्नातकोत्तर कर रहे प्रत्येक छात्र को आईकेएस में क्रेडिट पाठ्यक्रम लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जो कुल अनिवार्य क्रेडिट का कम से कम 5 फीसदी हो। यूजीसी के इस मसौदे से जुड़े दिशा-निर्देश नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीईएफ) के अंतिम मानदंड जारी करने के कुछ दिनों बाद सामने आए हैं। इसके तहत छात्रों को अब भारतीय ज्ञान प्रणाली के विभिन्न पहलुओं में अपनी विशेषज्ञता से क्रेडिट अर्जित करने की अनुमति दी जाएगी।