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गैर भाजपा शासित राज्यों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा कर जनता पर महंगाई का बोझ डाला : पुरी

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अशांति के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर नियंत्रण रखने में सक्षम रही केन्द्र सरकार

New Delhi news : गैर भाजपा शासित राज्यों में पेट्रोल व डीजल की बढ़ती कीमतों पर केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि गैर भाजपा शासित राज्य सरकारों ने जनता पर महंगाई का बोझ डाल दिया है।
सोमवार को मीडिया से बातचीत में हरदीप सिंह पुरी बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो बार उत्पाद शुल्क कम किया, जिसकी वजह से भाजपा शासित राज्यों में पेट्रोल व डीजल की कीमतें कम रहीं। वहीं, गैर भाजपा शासित राज्यों में वैट लगा दिया गया, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ गयीं। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अशांति के बावजूद डीजल पेट्रोल की कीमतों पर नियंत्रण रखने में केन्द्र सरकार सक्षम रही।
केन्द्रीय पेट्रोलियम पुरी ने बताया कि कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान पेश किये गये पेट्रोल बांड की कीमत आज तक केन्द्र सरकार चुका रही है। उन्होंने आंकड़ा देते हुए कहा कि 2004 और 2014 के बीच कांग्रेस ने पेट्रोल बांड पेश किये। इसके तहत कांग्रेस ने 1.41 लाख करोड़ रुपये जारी किये और आज केन्द्र सरकार को 3.20 लाख करोड़ रुपये वापस करने पड़ रहे हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि वैट के आंकड़ों पर गौर करें, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि ईटानगर और चेन्नई के बीच पेट्रोल की कीमत में 9.90 रुपये, लखनऊ और तेलंगाना के बीच 12.76 रुपये, गांधीनगर और बेंगलुरु के बीच 8.21 रुपये का अंतर है। जबकि, पणजी और केरल के बीच 12.35 रुपये, गुवाहाटी और कोलकाता के बीच 6.80 रुपये का अंतर है। गैर भाजपा शासित राज्यों में पेट्रोल और डीजल पर वैट लगाये जाने की वजह से कीमतें बढ़ी हैं।
पुरी ने पत्रकारों को बताया कि भारत एकमात्र देश है, जहां निश्चित अवधि में पेट्रोल और डीजल की कीमतें ऊपर जाने के बजाय 02 प्रतिशत या उससे अधिक की कमी आयी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो मौकों पर 21 नवंबर और मई 2022 को केंद्र द्वारा लगाये गये उत्पाद शुल्क को कम कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में कमी आयी और सभी भाजपा राज्यों ने भी वैट कम कर दिया।
केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमत काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय प्रचलित कीमत के कारण निर्धारित होती है, क्योंकि हम कच्चे तेल की अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करते हैं।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमत बढ़ने से 2004 से 2014 के बीच बेंगलुरु में पेट्रोल की कीमत 84 प्रतिशत और डीजल की कीमत 111 तक बढ़ गयीं। इस दौरान कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी। जबकि, 2014 से 2024 तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अशांति रही; फिर भी हम अंतरराष्ट्रीय स्थिति से निपटने में सक्षम हैं। इस दौरान मोदी की सरकार रही।

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